हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
قال رسول اللہ صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم:
شَعبانُ شَهري و رَمَضانُ شَهرُ اللّه ِ فَمَن صامَ شَهري كُنتُ لَهُ شَفيعا يَومَ القِيامَةِ
हज़रत रसूल अल्लाह,(स.ल.व.व.) ने फरमाया:
माहे शाबान" मेरा महीना और माहे रमज़ान खुदा का महीना है. जो भी मेरे महीने(शाबान) में रोज़ा रखेगा तो कियामत के दिन मैं उसकी शिफाअत करूंगा.
बिहारूल अनवार,भाग 97,पेंज 83