हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , भारत के ऐतिहासिक शहर लखनऊ में पैगंबर ए इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा स.ल.व. और हज़रत इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम के पवित्र जन्मदिन के अवसर पर एक समारोह आयोजित हुआ, जिसमें विद्वानों, शिक्षकों और बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया। इस सभा को भारत में जामिअतुल मुस्तफा अंतर्राष्ट्रीय के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद कमाल हुसैनी ने संबोधित किया।
अपने संबोधन में उन्होंने "सीरत ए नबवी पर प्रकाश डालते हुए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की वह हदीस बयान की जिसमें उन्होंने अपने पिता अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम से पूछा था कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम अपने घरेलू दिनचर्या कैसे व्यतीत करते थे।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने जवाब में फरमाया कि रसूल-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम जब घर वापस आते थे तो अपना समय तीन हिस्सों में बांटते थे: एक हिस्सा अल्लाह की इबादत के लिए, एक हिस्सा अपने परिवार के लिए और एक हिस्सा अपनी व्यक्तिगत ज़रूरतों के लिए फिर वह अपने व्यक्तिगत समय को भी लोगों के बीच बांट देते थे और आम और खास सभी को समय देते थे और किसी से भी इन्कार नहीं करते थे।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हुसैनी ने इस अवसर पर जोर देकर कहा कि छात्र अपने जीवन को इसी सिद्धांत के अनुसार व्यवस्थित करें और पैगंबर की जीवनी को अपना व्यावहारिक आदर्श बनाएं। उन्होंने कहा कि हर मोमिन को चाहिए कि वह अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को इबादत, अख्लाक़ पारिवारिक संबंधों और सामाजिक ज़िम्मेदारियों के आधार पर व्यवस्थित करे ताकि एक संतुलित और सफल जीवन बिताया जा सके।
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