हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्लामी शिक्षाओं में जीविका केवल भौतिक मात्रा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी गुणवत्ता और आशीर्वाद का विशेष महत्व है।
क़ुरआन मजीद में कहा गया है: "وَما رَزَقناکُم مِن شَیءٍ فَمَا آتاکُمُ اللّهُ خَیراً مِنهُ वमा रजक़नाकुम मिन शैइन फ़मा आताकोमुल्लाहो ख़ैरन मिन्हो और जो कुछ हमने तुम्हें दिया, उससे बेहतर अल्लाह ने तुम्हें दिया।" इसका मतलब है कि जो भी नेअमतो आपको मिली हैं, उनमें अल्लाह ने सबसे अच्छी नेअमतें दी हैं। यह बात यह दर्शाती है कि रोज़ी की गुणवत्ता और बरकत, माद्दी संपत्ति से बढ़कर होती है और इसका सीधा संबंध इंसानी सद्गुणों, शैक्षिक प्रयास और पेशेवर नैतिकता से होता है।
ज्ञान अर्जित करना और नैतिकता का विकास करना, जीवन में पूंजी के सदुपयोग और उसके प्रभाव को बढ़ाने का माध्यम है। इससे व्यक्ति सिर्फ़ मात्रा पर नहीं, बल्कि गुणवत्ता और असरदार रोज़ी पर ध्यान देता है। मासूमीन (अ) की हदीसें भी इस नजरिए की पुष्टि करती हैं।
इमाम सादिक़ (अ) ने फरमाया: "مَنْ تَفَقَّهَ فِی دِینِهِ وَ صَنَعَ فِی عَمَلِهِ صِدْقاً، رَزَقَهُ اللَّهُ بَرَکَةً فِی نَفْسِهِ وَ مَالِهِ وَ عَمَلِهِ मन तफ़क़्क़हा फ़ी दीनेही व सनआ फ़ी अमेलिहि सिदक़न, रज़क़हुल्लाहो बरकतन फ़ी नफ़ेसेही व मालेही व अमलेही जो अपनी धार्मिक शिक्षा में गहराई से ज्ञान बनाए और अपने काम में सच्चाई रखे, तो अल्लाह उसके अंदर, उनकी दौलत में और उनके कामों में बरकत रखेगा।"
शैक्षिक योग्यता के साथ ईमानदारी और पेशेवर नैतिकता से भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का रास्ता खुलता है और व्यक्तिगत एवं सामाजिक विकास आसान होता है। इस प्रकार, इल्मी कोशिश और नैतिकता का सीधे व्यक्ति की आमदनी की गुणवत्ता और उत्पादकता पर प्रभाव पड़ता है।
मानविकी और प्रबंधन के दृष्टिकोण से, अध्ययन बताते हैं कि जिन व्यक्तियों के पास अपने पेशे में पर्याप्त कौशल होता है और जिनका नैतिक व्यवहार समाज में भरोसेमंद होता है, वे न केवल अधिक रोजगार के अवसर पाते हैं, बल्कि उन्हें अधिक कार्य संतोष और उत्पादकता भी मिलती है। ये खोजें धार्मिक शिक्षाओं के अनुरूप हैं; क्योंकि जो व्यक्ति अपने ज्ञान और कौशल को नैतिक सिद्धांतों के साथ लागू करता है, वह संसाधनों और अवसरों का कुशल प्रबंधन कर अपनी आमदनी की गुणवत्ता बढ़ा सकता है। दूसरे शब्दों में, शैक्षिक योग्यता और पेशेवर नैतिकता एक-दूसरे के पूरक हैं और जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक वरदानों को बढ़ावा देते हैं।
लगातार शैक्षिक और व्यावहारिक प्रयास भी समृद्ध और बरकत वाली आमदनी के लिए आवश्यक है। पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने फरमाया: اعملوا فَما رَزَقَکُم اللّهُ مَرضاً و لاتَکتفُوا فِی العَملِ فَتَضیعُ رِزقُکُم एअलमू फ़मा रज़क़कोमुल्लाहो मरज़न वला कततोफ़ू फ़िल अमले फ़तज़ीओ रिज़क़ोकुम "काम करो, क्योंकि जो कुछ अल्लाह तुम्हें देता है वह पूर्ण है, और काम में कमज़ोरी मत दिखाओ, नहीं तो तुम्हारी आमदनी नष्ट हो जाएगी।"
यह सलाह स्पष्ट करती है कि बिना शैक्षिक और व्यावहारिक प्रयास के, भरोसा (तवक्कुल) हलाल और गुणवत्तापूर्ण आमदनी की प्राप्ति की गारंटी नहीं देता। शैक्षिक योग्यता के साथ पेशेवर नैतिकता और लगातार मेहनत, समृद्धि पाने का रास्ता आसान बनाते हैं और उसकी स्थिरता सुनिश्चित करते हैं।
हलाल और बरकत वाली आमदनी केवल व्यक्तिगत स्तर पर सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक सामाजिक प्रभाव भी होता है। एक कुशल और नैतिक व्यक्ति, संसाधनों का सही प्रबंधन करके, रोजगार के अवसर उत्पन्न करके और समाज में सकारात्मक प्रभाव डालकर सामाजिक विकास में योगदान देता है।
धार्मिक शिक्षाएं और वैज्ञानिक निष्कर्ष यह दर्शाते हैं कि आमदनी की बरकत में मानसिक स्वास्थ्य, कार्य संतोष और समाज में सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता भी शामिल है। इसलिए, वैज्ञानिक योग्यता और पेशेवर नैतिकता केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं, बल्कि सामूहिक लाभ तक पहुंचती है और व्यक्ति को समाज में प्रभावशाली भूमिका निभाने वाला बनाती है।
ज्ञान, नैतिकता और आमदनी के बीच सहकार्य मानव विकास के मार्ग को सुगम बनाता है और जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक पक्षों में वृद्धि करता है, जिससे व्यक्ति अपनी पूर्ण क्षमताओं का उपयोग करते हुए समाज में एक प्रभावी और रचनात्मक भूमिका निभाता है।
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