हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के अवसर पर, कर्बला के छोटे मासूम योद्धा शहज़ादे अली असगर अ.स.की याद में सादात इमरोहा वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन, दिल्ली की ओर से इमरोहा में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में उलेमा, अदीब (साहित्यकार) और बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।
संगोष्ठी की शुरुआत मौलाना सैयद हैदर मेंहदी की कुरआन तिलावत और ताजदार-ए-इमरोहवी की नात-ख़्वानी से हुई।
डॉक्टर मौलाना सैयद शहवार हुसैन नक़वी ने संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए कहा कि हज़रत अली असगर (अ.स.) की कुर्बानी ने वाक़या-ए-कर्बला को मज़लूमियत की अलामत बना दिया और दुनिया को बताया कि बड़ा कारनामा अंजाम देने के लिए उम्र की ज़रूरत नहीं होती, बल्कि एक छोटा बच्चा भी बड़े लश्कर से मुक़ाबला करके उसे रुला सकता है।

अली असगर उस नन्हे मुजाहिद का नाम है जिसने अपनी कुर्बानी के ज़रिए वाक़या-ए-कर्बला को ऐसी ताबनाकी (चमक) अता की कि जिसकी रोशनाई से इंसानी दिमाग आज तक मुनव्वर (रोशन) नज़र आ रहा है। यही वजह है कि आज दूसरे मज़ाहिब के मुफ़क्किरीन बारगाह-ए-हज़रत अली असगर (अ.स.) में ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश करके फ़ख़्र महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि एक फ्रांसीसी बुद्धिजीवी ने हज़रत अली असगर (अ.स.) की शान में मअरकतुल आरा क़सीदा कहा है, जिसका उर्दू अनुवाद "मासूम सितारा" के शीर्षक से इमरोहा के मारूफ़ आलिम-ए-दीन मौलाना सैयद मसरूर हसन ने किया है।
इस मौके पर डॉक्टर सैयद अहसन अख़्तर नकवी ने कहा कि हज़रत अली असगर (अ.स.) की शहादत ने वाक़या-ए-कर्बला को दूसरे वाक़ियात से मुमताज कर दिया, जिसकी वजह से यह वाक़िया तमाम लोगों के दिलों पर हुकूमत कर रहा है।
डॉक्टर सैयद जमशेद कमाल ने विश्व बाल दिवस की अहमियत और उपयोगिता पर रोशनी डाली। इसके अलावा मौलाना कौसर मुजतबा, सैयद सिराज नकवी, सैयद सब्त हैदर नकवी, सैयद परवेज जैदी, डॉक्टर चंदन नकवी और अन्य ने भी अपने विचार रखे।संगोष्ठी की सदारत संगठन के सदर (अध्यक्ष) सैयद ग़ुलाम सज्जाद ने की।
डॉक्टर सैयद मुबारक अली, शैबान कादरी, नासिर परवेज साहिल इमरोहवी और सिकंदर शजा आदि ने मंज़ूम श्रद्धांजलि पेश की।

तंज़ीमाती ज़िम्मेदारियां डॉक्टर लाडले रहबर ने निभाईं और सैयद रिज़ा नकवी और सैयद हसन बिन अली रज़न ने मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।
गौरतलब है कि विश्व बाल दिवस हर साल 20 नवंबर को बच्चों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन की मंजूरी की मिनासबत पर मनाया जाता है।
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