मंगलवार 9 दिसंबर 2025 - 11:55
हज़रत ज़हेरा स.ल.की ज़ात मज़हरे शाने ख़ुदा हैं

हौज़ा / हज़रत ज़हेरा स.ल.की पवित्र हस्ती, ख़ुदा की शान का उज्ज्वल प्रतिबिंब है और आप सच्ची तरजुमान और आयात का स्रोत और ख़ज़ाना है। यह हस्ती इतनी मुक़द्दस और पाकीज़ा है कि जिनका ज़िक्र और जिनका वसीला हमारी दुआओं की क़बूलियत की ज़मानत है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हिंदुस्तान के मशहूर आलिमदीन और तब्लीग के फ़रायज़ अंजाम दे रहे हुज्जतुल इस्लाम तक़ी अब्बास रिज़वी से हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार की हज़रत फातेमा ज़हेरा की विलादत के मौके पर एक खुसूसी इंटरव्यू लिया गया इस मौके पर उन्होंने फज़ायल हज़रत ज़हेरा बयान करते हुए कई पहलुओं पर रौशनी डाली।

हौज़ा न्यूज़ : सलाम अलैकुम मौलाना, हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ.की विलादत के मौके पर आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : वालेकुम सलाम, सबसे पहले तो मैं इस मुबारक अवसर पर सारे अहले इस्लाम, ख़ास तौर पर मुहब्बीन-ए-अहलेबैत अ.स.को मुबारकबाद पेश करता हूँ। यह दिन बड़ी ही मसर्रत और बरकतों का दिन है।

हौज़ा न्यूज़ : इस दिन की अहमियत के बारे में आपकी क्या राय है?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : देखिए, यह दिन सिर्फ जश्न-ओ-महफिलों का दिन नहीं है। बल्कि यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारे सामने जीवन का एक आदर्श नमूना मौजूद है। वह नमूना है वजह-ए-तख़लीक-ए-कायनात, हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा आप (स.अ.) की पैदाइश पर इज़हार-ए-उक़्दत-ओ-मुहब्बत के कई तरीक़े हैं जलसे, महफिलें, नज़्र व नियाज़ लेकिन एक अहम तरीक़ा यह भी है कि हम आपकी हयात-ए-तैय्यबा पर गम्भीरता के साथ-साथ ग़ौर-ओ-फ़िक्र भी करें। क्योंकि सैय्यदा (स.अ.) की सीरत व तालीमात पर अमल पैरा होना सारी बनी आदम, के लिए मेराज है।

हौज़ा न्यूज़ : आप उनकी शख्सियत के कुछ पहलू बताएँ जो उनकी विशेषताएँ बयान करती  हों?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : हज़रत फातेमा ज़हेरा (स.अ.) की ज़ात-ए-अक़्दस मज़हर-ए-शान-ए-इलाही, वही-ए-इलाही की तर्जुमान और सरचश्मा-ए-आयात व मख़ज़न-ए-मोजिज़ात है। यह ज़ात इतनी मुक़द्दस व पाकीज़ा है कि इसका हवाला और वास्ता हमारी दुआओं के मुस्तजाब होने की ज़मानत है। यह ज़ात-ए-मुबारका रहमतुल्लिल आलमीन (स.अ.) के लिए रहमत व शफक़त का ख़ज़ाना है। बे-शक हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) ऐसी तैय्यब व ताहिरा, बा-वक़ार और मोअज़्ज़ज़ हस्ती हैं जो महबूब-ए-दो आलम (स.अ.) के नज़्दीक सबसे ज़्यादा अज़ीज़ व बा वक़ार हैं। सलाम उस पर कि जिसका ज़िक्र रहमत का ख़ज़ाना है।

हौज़ा न्यूज़ : मौजूदा दौर में उनकी सीरत कितनी प्रासंगिक है?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : मौजूदा दौर खुराफ़ात में हिदायत के हर मुतलाशी मर्द-ओ-ख़वातीन के लिए सैय्यादा (स.अ.) की सीरत-ए-तैय्यबा और आपका असवा-ए-हसना एक ख़ुशगवार ज़िंदगी के लिए हिदायत का बेहतरीन रहनुमा और ज़ामिन-ए-रूश्द-ओ निजात है।

हौज़ा न्यूज़ : ख़ास तौर पर महिलाओं के लिए उनकी सीरत क्या संदेश देती है?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : हम और हमारी ख़वातीन अगर दीनी व दुनवी फज़्ल-ओ-कमाल और सआदत से बहरामंद होना चाहती हैं, तो हमें बीबी-ए-दो आलम, हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) की सीरत को अपनाना होगा। क्योंकि मौजूदा दौर में हमारे लिए, ख़ास कर हमारी ख़वातीन के लिए, इससे बढ़ कर कोई रोल मॉडल और नमूना-ए-अमल नहीं है। ख़ुदावन्द-ए-आलिम हम सबको सैयदा स.ल. के छोड़े हुए नक़ूश और दस्तूर-ए-हयात के इत्तिबा की तौफ़ीक़ दे और अपने प्यारे नबी की प्यारी बेटी का इश्क हमारे सीनों में हमेशा आबाद रखे।

हौज़ा न्यूज़ : इस मौके पर आपकी दुआ क्या है?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : आख़िर में दुख्तर-ए-रसूल हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) की विलादत-बा सआदत के मौक़े पर तमाम आलम-ए-इस्लाम, ख़ास कर मुहब्बीन-ए-उम्मुल-अईम्मा को हदिया-ए-तहनीत पेश करते हुए खुदा से दुआ है उनसे मवद्दत के तक़ाज़ों पर पूरा उतरने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन।

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