۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी

हौज़ा / तंज़ीमुल मकातिब लखनऊ के सचिव ने कहा कि पवित्र कुरान में तहरीफ की बात करना अज्ञानता का प्रमाण है। कुरआनी आयात को हटाने की मांग करना ज़र्रा बराबर भी कुरआन ना समझने का तर्क (दलील) है ऐसी हरकते आमाल के साथ साथ इस्लाम के मूल सिद्धांतों से रहित होने का परिणाम हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी ने पवित्र कुरान के अपमान की कड़ी निंदा की और कहा कि पवित्र कुरान का विरोध, वैश्विक उपनिवेशवाद और इस्लाम विरोधी साजिशों का परिणाम है।

कथन का पूरा पाठ इस प्रकार है:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

पवित्र कुरान, मानव जाति का ज़ाब्त-ए हयात है। इसकी एक एक आयत बल्कि हर शब्द अल्लाह की तरफ से होना एक मुसल्लम प्रमाण है। जिसपर अक़ली, नक़ली, सामाजिक तर्क के साथ साथ खुद कुरआनी चैलेंज का अब तक जवाब ना आना हमारे मुद्दाआ पर कामिल बुरहान है। 

अब ऐसी मुसल्लुस सबूत किताब के बारे मे तहरीख की बाते करना अपनी अज्ञानता साबित करना है। कुरआनी आयात को हटाने की मांग करना ज़र्रा बराबर भी कुरआन ना समझने का तर्क (दलील) है ऐसी हरकते आमाल के साथ साथ इस्लाम के मूल सिद्धांतों से रहित होने का परिणाम हैं।

इस्लाम के आरम्भ से ही अब तक, मुस्लिम उम्माह कुरान मे तहरीफ पर विश्वास नही करती। जहा तक शिया सुन्नी किताबो मे पवित्र कुरान मे तहरीफ की रिवायात है तो हम ना अपनी किताब की ऐसी रिवायत को सही मानते है और ना अहले सुन्नत की किताबो मे मौजूद ऐसी रिवायात को सही मानते है। कुरआन से आयात हटाने का तर्क वह खिलाफत काल में एकत्र कुरान की कहानी को बताते है। जबकि पवित्र कुरान पैगंबर के जीवन में एक पुस्तक के रूप में मौजूद था, इन्नी तारेकुन फ़ीकुमुस्सक़लैन किताबल्लाहे वा इतरति...  मैं किताब शब्द गवाह है कि हजूर पवित्र कुरान को किताबी रूप में मुसलमानों के बीच छोड़ कर गए है और यही इस्लामी दुनिया का एकमत दृष्टिकोण है।

हम कुरान विरोधी मांग की कड़ी निंदा करते हैं क्योंकि यह वैश्विक उपनिवेशवाद मानवता के दुशमन और इस्लाम विरोधी षड्यंत्रों का परिणाम है।

वस्सलाम

मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी

तंज़ीमुल मकातिब लखनऊ के सचिव

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