हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " बिहरूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الباقر علیہ السلام
مَرَّ عَلِیٌّ بِکَرْبَلَاءَ فِی اثْنَیْنِ مِنْ اَصْحَابِهِ. قَالَ: فَلَمَّا مَرَّ بِهَا تَرَقْرَقَتْ عَیْنَاهُ لِلْبُکَاءِ، ثُمَّ قَالَ: هَذَا مُنَاخُ رِکَابِهِمْ، وَ هَذَا مُلْقَی رِحَالِهِمْ، وَ هَاهُنَا تُهَرَاقُ دِمَاؤُهُمْ، طُوبَی لَکَ مِنْ تُرْبَةٍ عَلَیْکَ تُهَرَاقُ دِمَاءُ الْاَحِبَّةِ.
हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
हज़रत अली अलैहिस्सलाम का अपने दो दोस्तों के साथ कर्बला से गुज़र हुआ,जब इमाम अली अलैहिस्सलाम वहां से गुज़र रहे थे तो उनकी आंखों से आंसू जारी हो गए, और फिर फरमाया यह वह जगह है कि जहां उनकी सवारियां ज़मीन पर उतरेंगी
यह वह जगह है जहां उनका सामान ज़मीन पर रखा जाएगा, और यह वह जगह है जहां उनका ख़ुन बहाया जाएगा,ए कर्बला की मिट्टी तू कितनी खुशनसीब है कि जिस पर दोस्तों का खून बहाया जाएगा,
बिहारूल अनवार,भाग 44,पेंज258