۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
हम और हमारी अज़ादारी

हौज़ा / लखनऊ में  तंजीमे इमाम सज्जाद द्वारा "हम और हमारी अज़ादारी" पर एक अकादमिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे मौलाना अख़्तर अब्बास जौन कर्बला और अक़लानियत पर निहायत महत्वपूर्ण मतालिब के जिम्न मे बयान किया कि अज़ादारी और दीनदारी मे अक़ल को हाकिम होना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इमाम सज्जाद तंज़ीम द्वारा आज लखनऊ शहर में "हम और हमारी अज़ादारी" शीर्षक के तहत एक विद्वतापूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के संचालक श्री ऐनुल हसन ने कहा कि विषय के महत्व को देखते हुए यह संगोष्ठी आवश्यक थी।

पहले वक्ता मौलाना सैयद नज़र अब्बास साहब थे जिन्होंने अज़ादारी के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि हमें अपनी अज़ादारी में आइम्मा ए अतहार (अ.स.) की जीवनी को ध्यान में रखना चाहिए। दूसरा भाषण नज़र सबीन साहब द्वारा दिया गया था। आपके संदर्भ में उपयोगी मांग की।

संगोष्ठी के संचालक ने मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी को कर्बला और शत्रु की पहचान जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर दर्शकों को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया। मौलाना ने कहा कर्बला का महत्वपूर्ण संदेश दुश्मन की पहचान है जो विभिन्न मार्गो से अज़ादारी में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं और अजादारी करने वालो के बीच नफरत फैलाना चाहते है।

इसके बाद मौलाना अख्तर अब्बास जौन साहब ने कर्बला पर अत्यंत महत्वपूर्ण मांगों और तार्किकता के संदर्भ में कहा कि अज़ादारी और धर्मपरायणता में बुद्धि की जीत होनी चाहिए।

संगोष्ठी का आखिरी भाषण मौलाना इस्तिफा रजा ने दिया था।

अंत में इमाम सज्जाद संगठन की ओर से श्री आसिम साहब ने वक्ताओं और श्रोताओं का धन्यवाद किया।उल्लेखनीय है कि यह संगोष्ठी शीश महल स्थित पत्थर की मस्जिद में आयोजित की गई जिसका विभिन्न यूट्यूब चैनलों के माध्यम से सीधा प्रसारण भी किया गया।

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