हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, शिया मरजा ए तकलीद आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली सिस्तानी ने अहलेबैत (अ.स.) के जन्म समारोहो मे तालीयां बजाने के हुक्म बारे मे पूछे गए सवालो का जवाब दिया है। जिन्हे शरई अहकाम में रुचि रखने वालों के लिए नीचे प्रस्तुत किया गया है:
*तालियाँ बजाना
प्रश्न: विवाह के समय स्त्री-पुरुषो द्वारा तालियाँ बजाने का क्या हुक्म है जबकि वो एक-दूसरे से अलग हो लेकिन तालियाँ बजाने की आवाज़ सुन रहे हो?
उत्तर: (यदि स्त्री और पुरुष एक दूसरे से अलग हो जाएं) तो इसमें कोई हर्ज नहीं है।
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प्रश्न: क्या इमामों के जन्म समारोह में ताली बजाना जायज़ है?
उत्तर: फ़ी नफ्से इसमें कोई हरज नहीं है।
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प्रश्न: क्या बच्चों की इबादत के जश्न में साज़ बजाना और ताली बजाना जायज़ है?
उत्तर: यदि लहवी अर्थात बेहूदा मानक का हो (लहो लअब शुमार होता हो) तो उसे बजाना जायज़ नहीं है।
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प्रश्नः हुसैनिया और मस्जिद के अलावा किसी अन्य स्थान पर अहलेबैत (अ.स.) के सम्मान में ईद के मौक़े पर तालियां बजाने का क्या हुक्म है? जबकि ऐसा करना इमामों (अ.स.) के अपमान का सबब न होता हो?
उत्तर: कोई समस्या नहीं है लेकिन इस तरह के कृत्यों को सलावत से बदलना उचित नहीं है (अर्थात इन कार्यक्रमों में सलावत का पाठ करना बेहतर है)।
स्रोत: आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी के कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट
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