हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इस्तिक़बाले माहे रमजान के मौके पर अमरोहा फाउंडेशन की ओर से एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम मे निज़मात फरमान हैदर नकवी ने की।
नाजिम ने मौलाना मंजूर अली नकवी अमरोहवी को आमंत्रित किया। रमजान के पवित्र महीने के संबंध में इबादत की स्वीकृति की शर्तें क्या हैं और इस महीने का उपयोग कैसे करें? और रमजान के संदर्भ में इस महीने का सबसे अच्छा अमल क्या है इस विषय पर प्रकाश डाला।
उसके बाद मौलाना गुलाम पंजतान साहब मुबारकपुरी ने रमजान के महान महीने के बारे में बात की। मौलाना ने कहा कि हमें इस महीने में प्रवेश करने से पहले खुद को तैयार करना होगा। जब कोई व्यक्ति किसी के घर जाता है, तो वह कितनी तैयारी करता है, उसी तरह, अल्लाह तआला के महीने में प्रवेश करने से पहले तैयारी करना आवश्यक है। और उन्होंने शब-ए-कद्र के महत्व पर प्रकाश डाला।
मौलाना गुलाम पंजतान साहब के बाद मौलाना जहूर मेहदी मौलाई ने रमजान के पवित्र महीने के महत्व के बारे में बात की और कहा कि यह इतना महान महीना है जिसके लिए उन्होंने रजब और शाबान जैसे महीने आरक्षित किए हैं और कहा कि अल्लाह उन्हें इनाम देता है जो वह वितरित करता है , वह किसी अन्य महीने में वितरण नहीं करता है। रमज़ान के महीने में अल्लाह की रहमत आसानी से मिल सकती है।आश्चर्य की बात यह है कि इस महीने से मनुष्य लाभ नहीं उठाता, जबकि इस महीने में मार्गदर्शन के लिए सभी रास्ते तैयार किए गए हैं।
आखिरी तक़रीर मौलाना सिब्ता हैदर जैदी साहब ने की जिसमे उन्होने खुत्बा ए शाबानीया के हवाले से बात करते हुए उसके महत्व को बताया और उसकी व्याख्या की।