हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित हदीस को "मकरिम उल-अखलाक" पुस्तक से लिया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال امیرالمومنین علیه السلام:
مَن صَلّی رَکعَتَینِ یَعلَمُ مایَقولُ فِیهما اِنصَرَفَ وَ لَیسَ بَینَه وَ بَینَ اللهِ - عَزَّ وَ جَلَّ – ذَنبٌ
हज़रत इमाम अली (अ.स.) ने फ़रमाया:
एक व्यक्ति जो दो रकअत नमाज़ पढ़ता है और जानता है कि वह क्या कह रहा है, तो वह उस स्थिति में नमाज़ मे होगा कि उसके और सर्वशक्तिमान ईश्वर के बीच कोई पाप नहीं होगा।
मकारिम उल-अखलाक, पेज 300