हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित हदीस "काफ़ी" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیه السلام:
اِذا قامَ الْعَبْدُ فِى الصَّلاةِ فخَفّفَ صَلاتَهُ قالَ اللهُ تَبارَكَ وَ تَعالى لِمَلائِكَتِهِ: اَما تَرَوْنَ اِلى عَبْدى كَانَّهُ يَرى اَنَّ قَضاءَ حَوائِجِهِ بِيَدِ غَيْرى! اَما يَعْلَمُ اَنَّ قَضاءَ حَوائِجِهِ بِيَدى؟
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
जब भी कोई बंदा नमाज़ के लिए खड़ा होता है और वह उसे हल्का समझता है, तो अल्लाह तआला अपने स्वर्गदूतों से कहता है, "क्या तुम मेरे इस बंदो को नहीं देखते हो जैसे वह सोचता है कि उसकी ज़रूरतें मेरे अलावा किसी और के हाथ में हैं?" और क्या वह नहीं जानता कि उसकी इच्छाओं और आवश्यकताओं की पूर्ति (केवल) मेरे हाथ में है?"
काफी, भाग 3, पेज 269, हदीस 10