हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "उसूले काफी" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
(إنّ) مِن علاماتِ شِركِ الشَّيطانِ الذي لا يُشَكُّ فيهِ أن يكونَ فَحّاشا، لا يُبالي ما قالَ و لا ما قيلَ فيهِ
हज़रत इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
शैतान के साथियों की निशानी में से एक यह हैं की जिसमें किसी किस्म का शक नहीं है कि वह गालियां देता हों और इसे इस चीज़ की परवाह ना हो कि वह क्या कह रहा है और क्या सुन रहा हैं।
अलकाफी,1/323/2