۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
Rahbar

हौज़ा/सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने रविवार दोपहर को शहीद क़ासिम सुलैमानी के घरवालों और उनकी याद में प्रोग्राम आयोजित करने वाली कमेटी के मेंबर्स से मुलाक़ात की,

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने रविवार दोपहर को शहीद क़ासिम सुलैमानी के घरवालों और उनकी याद में प्रोग्राम आयोजित करने वाली कमेटी के मेंबर्स से मुलाक़ात की,


उन्होंने इस मौक़े पर रेज़िस्टेंस फ़्रंट में नई जान डालने को शहीद अलहाज क़ासिम सुलैमानी का बुनियादी व नुमायां कारनामा बताया। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता कहा कि शहीद सुलैमानी ने प्रतिरोध को भौतिक, मानसिक और आत्मिक लेहाज़ से मज़बूत करके इस अमर रहने वाले, निरंतर बढ़ने व फैलने वाले मोर्चे को ज़ायोनी शासन के मुक़ाबले में नाबूद होने से बचाया, उसे लैस किया और उसमें नई जान फूंक दी और इसी तरह उसे अमरीका सहित दूसरे साम्राज्यवादी मुल्कों की घुसपैठ के ख़िलाफ़ सुरक्षित, लैस और पुनर्जीवित किया,


आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने जनरल सुलैमानी के संघर्ष के बारे में एक बेनज़ीर इंसान की हैसियत से सैय्यद हसन नसरुल्लाह की गवाही को, बहुत बड़ा चैप्टर बताया जिससे प्रतिरोध में नई जान डाल देने के जनरल सुलैमानी के कारनामे की अहमियत को समझा जा सकता है।  


इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता ने ज़ायोनियों से मुक़ाबले में फ़िलिस्तीनियों की स्थिति बेहतर होने और इराक़ तथा सीरिया में प्रतिरोध के मोर्चे के कारनामों का ज़िक्र किया और कहा कि जनरल सुलैमानी ने आठ साल की जंग के तजुर्बे और अपने साथियों के मशविरों से अलग अलग मुल्कों में प्रतिरोध के मोर्चे को ख़ुद उन्हीं मुल्क के संसाधनों के ज़रिए ताक़तवर बनाया


उन्होंने दाइश के फ़ितने को दबाना और उसकी जड़ों के ज़्यादातर हिस्से को काट देना, जनरल सुलैमानी के अहम कारनामों में गिनवाया और कहा कि इस मामले में भी शहीद सुलैमानी अच्छी तरह कामयाब हुए।
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता ने क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर जनरल क़ाआनी की क़ाबिले तारीफ़ सरगर्मियों की सराहना करते हुए कहा कि अल्लाह का शुक्र है कि बहुत सी चीज़ों में शहीद सुलैमानी की कमी पूरी हो गयी है।
उन्होंने कहा कि प्रतिरोध का पूरा मोर्चा ख़ुद को इस्लामी जुम्हूरिया की स्ट्रैटिजिक डेप्थ और इस्लाम का बाज़ू समझता है और इस दिशा में ये क़दम इसी तरह आगे बढ़ते रहेंगे।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने अपनी बातचीत के दूसरे भाग में जनरल सुलैमानी को अवामी सतह पर ख़िराजे अक़ीदत पेश करने और उनकी याद में होने वाले प्रोग्रामों में अवाम की ख़ुद से बड़ी तादाद में शिरकत को शहीद सुलैमानी के ख़ुलूस का नतीजा क़रार दिया। उन्होंने कहा कि पिछले बरस की तरह इस साल भी लोगों की भागीदारी, भरपूर है और अल्लाह की कृपा से अवाम की सार्थक मौजूदगी और उनकी तरफ़ से शहीद सुलैमानी की क़द्रदानी में किसी तरह की कोई कमी नहीं है। 
उन्होंने बहादुरी, ईमान, ज़िम्मेदारी की भावना, जोखिम उठाने की हिम्मत, समझदारी, अक़्लमंदी, रुके हुए कामों को आगे बढ़ाने और बिना रुके और बिना हिचकिचाहट आगे बढ़ने जैसी शहीद सुलैमानी की कुछ ख़ूबियों का ज़िक्र किया और कहा कि शहीद में ख़ुलूस का जज़्बा इन सभी ख़ूबियों से बढ़ कर था और इसी वजह से अल्लाह ने उन्हें दुनिया में इस तरह के सम्मान, तारीफ़ और अक़ीदत के लायक़ बनाया जबकि उन्हें आख़ेरत में मिलने वाले बदले के बारे में इंसान सोच भी नहीं सकता।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने सच्चाई को शहीद सुलैमानी की एक बड़ी ख़ूबी गिनवाया और कहा कि अगरचे वह पेचीदा सियासी मामलों में भी सरगर्म थे और इन मैदानों में भी अच्छे काम अंजाम देते थे लेकिन वह धोखे से पाक और सच्चे इंसान थे, हम सबको अपने भीतर इन ख़ूबियों को पैदा करने की कोशिश करनी चाहिए।
उन्होंने जनरल सुलैमानी को ख़िराजे अक़ीदत पेश करने और उनकी ख़ूबियों को बयान करने के सिलसिले में एक अहम बिन्दु का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की बात और अमल नहीं करना चाहिए जिससे जनरल सुलैमानी की ख़ूबियों को हासिल करना इंसान के बस से बाहर लगने लगे।
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता सैय्यद अली ख़ामेनेई ने सभी शहीदों की याद को, जिनमें सबसे नुमायां जनरल क़ासिल सुलैमानी हैं, ज़िन्दा रखने पर ताकीद की। उन्होंने कहा कि हमें मुख़्तलिफ़ तरह के आर्ट्स की मदद से शहीद, उनकी शख़्सियत और उनके काम की ख़ूबियों को इस तरह ज़िन्दा रखना और बयान करना चाहिए कि उन्हें अक़ीदत पेश करने में अवामी भागीदारी हमेशा बनी रहे।
इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में आईआरजीसी फ़ोर्स के चीफ़ कमांडर जनरल हुसैन सलामी ने 3 जनवरी सन 2020 को शहीद सुलैमानी के शहादत दिवस को उनकी रूहानी ज़िन्दगी के फिर से शुरू होने का दिन क़रार दिया और उनकी शख़्सियत की कुछ नुमायां ख़ूबियों को गिनवाते हुए कहा कि शहीद सुलैमानी की अमर विरासत यानी प्रतिरोध का परचम सभी मोर्चों पर आगे बढ़ रहा है।
इस मुलाक़ात में शहीद क़ासिम सुलैमानी की बेटी मोहतरमा ज़ैनब सुलैमानी ने शहीद सुलैमानी फ़ाउंडेशन की कल्चरल व सोशल सरगर्मियों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की,

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