हौज़ा न्यूज़ एजेंसी!
लेखकः शौकत भारती
कुरान उठाइए उसे खोलिए सूरए मायदा की आयत नंबर 51 से 56 को पहले खुद पढ़िए फिर इन आयतों की रौशनी में अपने अपने मसलक के उलेमा से सवाल कीजिए की मुस्लिम मुल्कों के वो कौन कौन सरबराहान हैं जिन्होंने यहूदी और नसरानी पॉवरस को अपना अपना सरपरस्त बना रखा है और किन किन मुल्कों ने कुरान की मुखस्किफत करते हुए इस्लाम के खुले हुए दुश्मन इसराइल की इम्बेसी मुस्लिम मुल्कों में खोल रखी है और इसराइल से कारोबार और दोस्ती बढ़ा रखी है l आखिर क्यों कुरान के मना करने के बाद भी उस ब्रिटेन, अमरीका,इसराइल यानी यहूद और नसारा को जो आपस में एक दूसरे के साथ हैं और मुसलमानो के दोस्त नहीं हैं उन्हे अपना सरपरस्त बना रखा है और उनके इशारों पर क्यों नाच रहे हैं और फिलिस्तीन को भूखा प्यासा मरता हुआ देख कर भी उसकी मदद क्यों नहीं कर रहे है और वो कौन कौन मुल्ला मुफ्ती मदरसे और दीनी इदारे हैं जो यहूदियों और नसरानीयों को सरपरस्त बनाने वाले मुस्लिम मुमालिक के पे रोल पर पल रहे हैं और यहूद और नसारा को सरपरस्त बनाने वाले मुस्लिम मुल्कों के सरबराहों के हर कमीने पन और हर बेहयाई पर बरसों से पर्दा डाल रहे हैं और आज भी डाल रहे है और उस छोटे से फिकिस्तीनी ग्रुप को जो बरसों से किबलाए अव्वल और फिलिस्तीन की दिफा के लिए ब्रिटेन,अमरीका की नजायेज़ अवलाद इसराइल के खिलाफ डटा हुआ है उसकी तरफ़ से आंख बंद किए हुए हैं और जो मुल्क फिलिस्तीन और बैतूल मुकद्दस की दिफा का एकदाम कर रहे हैं उनके रास्ते में भी रोड़ा अटका रहे है और पेट्रो डॉलर्स ले ले कर उनके खिलाफ झूठे प्रोपेगेंडे का बाज़ार गर्म किए हुए है।
अल्लाह का शुक्र है की इन सब के बा वजूद वो छोटा सा फिलिस्तीन अल्लाह की ताकत के भरोसे उस इसराइल के खिलाफ डटा हुआ है जिसकी पुश्त पर अमरीका ब्रिटेन और ज्यादा तर यूरोप के मुल्क खड़े हुए है। इन आयतों में ही लिखा है की अल्लाह के भरोसे खड़ा होने वाले गिरोह को जब अल्लाह की मदद से कमियाबी हासिल होगी तो यहूदीयों और नसरानियों को सरपरस्त बनाने वाले उनकी गाइड लाइन पर चलने वाले तमाम मुस्लिम मुल्कों के सरबराह और उनके हिमायती भी लज्जित होंगे और ये वही लोग होंगे जो बहुत ज्यादा अल्लाह अल्लाह करते हैं मगर उनके दिल टेढ़े हैं और यहूदियों व नारानियों की तरफ झुके हुए हैं और ऐसे ही दिल के टेढ़े मुस्लिम मुल्कों के सरबराहों की हिम्मत नही पड़ रही की वो इसराइल के खिलाफ किसी तरह का इकदाम करे इतने जुल्म के बाद भी उनकी एंबेसी बंद कर सकें,उन्हे तेल देना बंद कर दें उनसे कारोबार खत्म कर दें। क्योंकि उनके ऐसा करने से ब्रिटेन,यूरोप और नाटो नाराज़ हो जायेगा यही वजह है की लगातार बढ़ रहे जुल्म को देखने के बाद ये सब देखने के बाद की इसराइल ने फिलिस्तीनियों पर दाना,पानी,बिजली,फ्यूल सब बंद कर दिया हर तरफ से नाका बंदी कर के दिन रात बम बरसा रहा है, स्कूल,यूनिवर्सिटी,अस्पतालों,सड़कों और गलियों में फिलिस्तीनियों की लगातार लाशें बिखेर रहा है मुस्लिम मुमालिक मिल कर उन तक पानी खाना और दवा भी हुंचाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे क्यों की इन लोगों ने जिन्हे अपना सरपरस्त बना रखा है उन्हों ने इनको इसकी इजाज़त नहीं दी दी है,सिर्फ जुबानी बयान बाज़ी की इजाज़त दी है और सब लोग वही कर रहे हैं ये खुली हुई कुरान की मुखालिफत है ये खुली हुई इंसान दुश्मनी है। रजब तय्यव उर्दगांन नाटो में शामिल हो कर उसी तरह से खुश थे जैसे बीजेपी में मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन खुश थे। उर्दगान की पोजिशन नाटो में वैसी ही है जैसे बीजेपी में मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन की थी,ऐसे ही सीसी,शाह अब्दुल्लाह,महमूद अब्बास, यूएइ के बादशाह वगैरह की है ये वो लोग हैं जिन्होंने पब्लिक प्रेशर की ही वजह से बाइडेन से मिलने से जरूर इंकार कर दिया मगर टेलीफोन पर ये सब अमरीका इसराइल के राब्ते में है। जब तक मुस्लिम मुमालिक के सरबराह अपने अपने मुल्कों से अमरीकी अड्डे नहीं खत्म कर देते,अपने सिफारती तालुकात खत्म नहीं कर देते,उनको तेल देना और उनसे कारोबार करना बंद नहीं कर देते,उनके प्रोडक्ट को अपने मुल्कों में आने से नही रोक देते, तब तक फिलीस्तीनियो के हक में की जा रही इनकी खोखली बयान बाज़ी से कुछ भी नहीं होगा। जंग बहुत बढ़ चुकी है अमरीकन फौज और बहरी बेड़े इसराइल की मदद को आ चुके हैं यूरोप और अमरीका खुल कर इसराइल को सपोर्ट कर रहे हैं मगर हकीकी मायने में अल्लाह पर और कुरान पर भरोसा करते वाला छोटा सा फिलिस्तीन और उसके मददगार अल्लाह के भरोसे पर हर ताकत के खिलाफ सीसा पिलाई दीवार बन कर खड़े हुए हैं और इंशा अल्लाह इस छोटे से गिरोह को कनियाबी जरूर मिलेगी और यहूदियों और नसरानियो को सरपरस्त बनाने वाले मुस्लिम मुल्कों के सरबराहों और उनके मददगारों के चेहरे पूरी तरह से पूरी दुनिया बे नकाब होंगे।
सूरए मायदा आयत नंबर 51 से 56।
﴾ 51 ﴿ हे ईमान वालो! तुम यहूदी तथा ईसाईयों को अपना सरपरस्त न बनाओ, वे एक-दूसरे के सरपरस्त हैं और जो कोई तुममें से उन्हें सरपरस्त बनायेगा, वह उन्हीं में होगा तथा अल्लाह अत्याचारियों को सीधी राह नहीं दिखाता।
﴾ 52 ﴿ फिर (हे नबी!) आप देखेंगे कि जिनके दिलों में (द्विधा का) रोग है, वे उन्हीं से मिल रहे हैं, वे कहते हैं कि हम डरते हैं कि (अगर हम उनसे न मिलेंगे)कहीं हम किसी आपदा के कुचक्र में न आ जायेँ, तो दूर नहीं कि अल्लाह उन्हें विजय प्रदान करेगा अथवा उसके पास से कोई बात हो जायेगी,तो वे लोग उस बात पर, जो उन्होंने अपने मन में छुपा रखी है, लज्जित होंगे।
﴾ 53 ﴿ तथा (उस समय) ईमान वाले कहेंगेः क्या यही वे हैं, जो अल्लाह की बड़ी गंभीर शपथें लेकर कहा करते थे कि वे तुम्हारे साथ हैं? इनके कर्म अकारथ गये और अंततः वे असफल हो गये।
﴾ 54 ﴿ हे ईमान वालो! तुममें से जो अपने धर्म से फिर जायेगा, तो अल्लाह (उसके स्थान पर) ऐसे लोगों को पैदा कर देगा, जिनसे वह प्रेम करेगा और वे उससे प्रेम करेंगे। वे ईमान वालों के लिए कोमल तथा काफ़िरों के लिए कड़े[1] होंगे, अल्लाह की राह में जिहाद करेंगे, किसी निंदा करने वाले की निंदा से नहीं डरेंगे। ये अल्लाह की दया है, जिसे चाहे प्रदान करता है और अल्लाह (की दया) विशाल है और वह अति ज्ञानी है।
1. कड़े होने का अर्थ यह है कि वह युध्द तथा अपने धर्म की रक्षा के समय उन के दबाव में नहीं आयेंगे, न जिहाद की निंदा उन्हें अपने धर्म की रक्षा से रोक सकेगी।
﴾ 55 ﴿ तुम्हारे सहायक केवल अल्लाह और उसके रसूल तथा वो हैं, जो ईमान लाये, नमाज़ की स्थापना करते हैं, ज़कात देते हैं और अल्लाह के आगे झुकने वाले हैं।
﴾ 56 ﴿ तथा जो अल्लाह और उसके रसूल तथा ईमान वालों को सहायक बनायेगा, तो निश्चय अल्लाह का दल ही छाकर रहेगा।
ऊपर लिखी हुई कुरान की आयतों को पढ़िए और इन आयतों की रौशनी में हालत हाजरा पर खुद गौर कीजिए और अपने अपने मसलक के जमीर फरोशों को इसे सुना सुना कर जगाइए।
नोटः लेखक का अपने व्यक्तिगत विचार है हौज़ा न्यूज़ एजेंसी का लेखक के विचारो से सहमत होना जरूरी नही है।