हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस रिवायत को "वसालुस शिया" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام العلی علیه السلام
أيّها الناسُ، إنَّ المَوتَ لا يَفُوتُهُ المُقِيمُ، و لا يُعجِزُهُ الهارِبُ، ليسَ عَنِ المَوتِ مَحِيدٌ و لا مَحِيصٌ، مَن لَم يُقتَلْ ماتَ، إنّ أفضَلَ المَوتِ القَتلُ، و الذي نفسُ عَليٍّ بِيَدِهِ لَألفُ ضَربَةٍ بالسَّيفِ أهوَنُ مِن مَوتَةٍ واحِدَةٍ عَلَى الفِراشِ
हज़रत इमाम अली (अ.स.) ने फरमाया:
ए लोगों!साबित कदम और भागने वालों को मौत से दूरी नहीं हैं,और जो लोग खुद की मौत नहीं मरेगा ,वह कत्ल कर दिया जाएगा और बेशक शहादत बेहतरीन मौत हैं, मुझे उस खुदा की कसम जिसके हाथ में मेरी जान है कि मेरे लिए बिस्तर की मौत से तलवार की एक 1 हज़ार मार आसान पर हैं।
वसालुस शिया,भाग 11,पेंज 8,हदीस 12