हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "वसलुश् शिया" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
مَنْ صامَ ثَلاثَةَ أَيّامِ مِنْ اخِرِ شَعْبانَ وَ وَصَلَها بِشَهْرِ رَمَضانَ كَتَبَ اللّه ُ لَهُ صَـوْمَ شَهْـرَيْنِ مُتَتـابِعَـيْنِـوْمَ شَهْـرَيْنِ مُتَتـابِعَـيْنِـرَيْنِ مُتَتـابِعَـيْنِـابِعَـيْنِ
हज़रत इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
जो आदमी शाबान के महीने के आखिरी 3 दिनों में रोज़ा रखेगा और उन्हें माहे रमज़ान के रोज़ों के साथ मिला दें,तो अल्लाह तआला इसे 2 महीने के बराबर रोजों का सवाब मिलेगा,
वसलुश् शिया,भाग 7,पेंज 375,हदीस नं 22