हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,क़ुरआन ने कह,मोहम्मद(स.अ.) अल्लाह के रसूल हैं और जो लोग उनके साथ हैं.(सूरए फ़तह, आयत-19) क्या हम पैग़म्बरे इस्लाम के साथ हैं?
इसका एक पैमाना है जो लोग उनके साथ हैं वो काफ़िरों पर सख़्त हैं” अगर आप देखें कि वह राह जिस पर आप चल रहे हैं, कुफ़्फ़ार उससे ख़ुश होते हैं, तो जान लीजिए कि वह रास्ता ‘वो काफ़िरों पर सख़्त हैं’ वाला रास्ता नहीं है, तो आप पैग़म्बरे इस्लाम के साथ नहीं हैं।
लेकिन अगर आप देखें कि नहीं वो राह जिस पर आप चल रहे हैं, वह साम्राज्यवाद को, धर्म के दुश्मन को, इस्लाम विरोधी सरकारों को नाराज़ व ग़ुस्से में ला रही है, तो ठीक और सही है, वो “काफ़िरों पर सख़्त हैं” वाली राह है। यह निशानी और स्टैंडर्ड है। हमारा ध्यान इस ओर रहे।
हम होश में रहे कि हम क्या कर रहे हैं? क्या कह रहे हैं? ! हम जो बात भी कह रहे हैं वो हमारे दुश्मन की साज़िश में मदद न करे, दुश्मन की योजना में मदद न करे।
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