गुरुवार 8 जून 2023 - 08:53
सूर ए बकरा: अल्लाह की दया और करुणा पापियों के पश्चाताप को स्वीकार करने की गारंटी है

हौज़ा | अल्लाह की इबादत करने की आवश्यकता का कारण उसकी दया और करुणा है। अल्लाह के वास्तविक देवता में विश्वास और उसकी एकता मनुष्य को धार्मिक शिक्षाओं और आज्ञाओं को छिपाने से रोकती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफसीर; इत्रे क़ुरआनः तफसीर सूर ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم     बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَإِلَـٰهُكُمْ إِلَـٰهٌ وَاحِدٌ ۖ لَّا إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ الرَّحْمَـٰنُ الرَّحِيمُ     वा इलाहोकुम इलाहुव वाहिद ला इलाहा इल्ला होवर रहमान अल रहीम (बकरा 163)

अनुवाद: और तुम्हारा ईश्वर केवल एक परमेश्वर है। उसके अलावा कोई भगवान नहीं है। वह बड़ा रहम करनेवाला, बड़ी दया करनेवाला है।

क़ुरआन की तफसीरः

1️⃣  सभी मनुष्यों का सच्चा ईश्वर एक ही है।
2️⃣  अल्लाह तआला के अलावा, ईश्वर का कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है।
3️⃣  अल्लाह दयालु और कृपालु है।
4️⃣  अल्लाह तआला की इबादत करने की वजह उसकी रहमत और मेहरबानी है।
5️⃣  अल्लाह के वास्तविक ईश्वर में विश्वास और उसकी एकता मनुष्य को धार्मिक शिक्षाओं और आदेशों को छिपाने से रोकती है।
6️⃣  अल्लाह की दया और कृपा पापियों के पश्चाताप को स्वीकार करने की गारंटी है।


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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा

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