۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | जो लोग अत्याचार करते हुए मोहर्रेमात मे लिप्त होते है, भले ही वे अत्यावश्यकता के कारण मोहर्रेमात मे लिप्त हो , वे अभी भी पापी हैं। आपातकालीन स्थितियों में मोहर्रेमात की अनुमति देना अल्लाह की दया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफसीर; इत्रे कुरान: तफसीर सूर ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِنَّمَا حَرَّمَ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةَ وَالدَّمَ وَلَحْمَ الْخِنزِيرِ وَمَا أُهِلَّ بِهِ لِغَيْرِ اللَّـهِ ۖ فَمَنِ اضْطُرَّ غَيْرَ بَاغٍ وَلَا عَادٍ فَلَا إِثْمَ عَلَيْهِ ۚ إِنَّ اللَّـهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ  इन्नमा हर्रमा अलैकुम अल मैयतता वद दमा वा लहमल ख़िंज़ीरे वमा ओहिल्ला बेहि लेग़ैरिल्लाह फ़मनिज़ तुर्रा ग़ैरा बाग़िन वला आदिन फला इस्मा अलैहे इन्नल्लाहा गफ़ूरुर रहीम। (बकरा 173) 

अनुवाद: उसने (मवेशियों में से) केवल आपको मांस, रक्त, सूअर का मांस और वह (वध) चढ़ाया जो अल्लाह के अलावा किसी और के नाम पर वध किया गया था। यह प्रतिबंधित है। तो वह व्यक्ति जो (गंभीर भूख से) मजबूर है, जबकि वह विद्रोही या अवज्ञाकारी नहीं है। तो उस पर कोई गुनाह नहीं, बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला, मेहरबान है।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣  भगवान के अलावा किसी और के नाम पर काटे गए जानवर का मांस खाना मना है।
2️⃣  मुर्दा, ख़ून, सूअर का गोश्त और ज़बह किये हुए जानवर का गोश्त जिस पर ख़ुदा के सिवा किसी और का नाम लिया हो, खाने की इजाज़त नही है।
3️⃣  बहुदेववादी मूर्तियों के लिए कुछ जानवरों का वध करते थे और उनके नाम पर बलि चढ़ाते थे।
4️⃣  आपातकाल की स्थिति में मोहर्रेमात मे लिप्त होने से पाप नहीं होता।
5️⃣  जो लोग अत्याचार सहते हुए और अत्याचार करते हुए मोहर्रेमात मे लिप्त होते हैं, भले ही वे अनिवार्य रूप से मोहर्रेमात करते हैं, फिर भी वे दोषी हैं।
6️⃣ आपातकालीन स्थितियों में मोहर्रेमात करना उचित ठहराना अल्लाह की दया है।
7️⃣  जो लोग मोहर्रेमात करने के लिए दृढ़ हैं उन्हें आवश्यकता की सीमा से आगे नहीं जाना चाहिए।
8️⃣  विधायकों को कानून बनाते समय आपातकालीन जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए और उनके लिए विशेष प्रावधान करना चाहिए।
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तफसीर राहनुमा, सूर  ए बकरा

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