हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफ़सीर: इत्रे क़ुरआन: सूर ए बकरा की तफ़सीर
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम
خَالِدِينَ فِيهَا ۖ لَا يُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذَابُ وَلَا هُمْ يُنظَرُونَ ख़ालेदीना फ़ीहा ला योख़फ़्फ़फ़ो अनहोमुल अज़ाबा वला हुम युंज़रून (बक़रा 162)
अनुवाद: वो हमेशा इसी (शाप) में रहेंगे और उनके अज़ाब से कभी कम न होगे। न ही उन्हें कोई डेडलाइन दी जाएगी।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ जो लोग इनकार करते हैं और मर जाते हैं वे हमेशा अल्लाह के अभिशाप से पीड़ित होंगे।
2️⃣ सच्चाई छुपाने वाला धर्म, अगर आप बिना तौबा किये मर गए तो आप पर हमेशा के लिए अल्लाह तआला की लानत होगी।
3️⃣ वे काफिर जो बिना पछतावे के मर जाते हैं, उन्हें परलोक में हमेशा के लिए ईश्वर की सजा का सामना करना पड़ेगा।
4️⃣ जो लोग धार्मिक शिक्षाओं और आसमानी पुस्तकों के नियमों की सच्चाई को छिपाते हैं वे हमेशा परलोक की सजा भुगतेंगे।
5️⃣ अल्लाह ताला की सजा के बाद का जीवन, जो लानत है और जो खुदा की रहमत से दूर है।
6. तथ्य और ज्ञान को छुपाने का धर्म महापाप है।
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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा
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