हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "नहजुल बलाग़ा " पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार हैं।
:قال امير المؤمنين عليه السلام
وَ اللّهِ ما أرى عَبْدا يَتَّقى تَقْوىً تَنْفَعُهُ حَتَّى يَخْزِنَ لِسانَهُ
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
खुदा की कस्म! मैंने किसी परहेजदार को नहीं देखा कि तकवा उसके लिए फायदेमंद साबित हुआ हो जब तक कि उसने अपनी ज़ुबान की हिफाज़त ना कि हो,
नहजुल बलाग़ा,हिक्मत नं,176
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