۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
दिन की हदीस

हौज़ा / हज़रत इमाम जफार सादीक अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में नमाज़े शब की अहमियत को बयान फरमाया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:

:قال الامام الرضا علیه السلام

عـلَيْكُمْ بِصَـلاةِ اللَّيْلِ فَما مِنْ عَـبْدٍ يَقُومُ آخِرَ اللَّيْلِ فَيُصَـلِّى ثَمانَ رَكَعاتٍ وَ رَكْعَـتَىِ الشَّفْـعِ وَ رَكْعَةَ الْـوَتْرِ وَ اسْتَغْـفَرَ اللّهَ فـى قُنُوتِهِ سَبْـعينَ مَرَّةً اِلاّ، اُجيرَ مِنْ عَـذابِ الْقَـبْرِ، وَ مِنْ عَـذابِ النّارِ، وَ مُـدَّ لَهُ فِى عُمْرِهِ، وَ وُسِّعَ عَلَيْهِ فِى مَعِيْشَتِهِ، ثُمَّ قالَ عليه السلام؛ اِنَّ الْبَيَـوتَ الَّتى يُصَـلّى فِيـها بِاللَّيْلِ يَـزْهَرُ نُورُها لاَِهْلِ السَّماءِ كَما يَزْهَرُ نُورُ الْكَواكِبِ لاَِهْلِ اْلاَرْضِ،

हज़रत इमाम जफार सादीक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:

आप पर लाज़िम है की नमाज़े शब पढ़े कोई बंदा ऐसा नहीं है जो रात के आखिरी हिस्से में बेदार हो और आठ रकआत नामज़े शब,दो रकआत नमाज़े शेफआ और एक रकआत नमाज़े वितर पढ़े और इसके कोनुत में 70 बार इस्तेग़फार पढ़े मगर यह कि अल्लाह ताला इससे कब्र के अज़ाब और जहन्नम की आग से पनाह देगा, इसकी उम्र को तुलानी और इसकी जिंदगी में खुशी आता करेगा।

फिर इमाम अली अ.स. ने फरमाया कि जिस घर में नमाज़े शब पढ़ी जाती है उसका नूर अहले आसमान के लिए इस तरह जगमगाता है
जैसे ज़मीन वालों के लिए सितारे जगमगाता हैं।

बिहारूल अनवार, भाग ,पेंज 151 

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .