۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
कर्बला

हौज़ा / मुस्लिम इब्ने औसजा इब्ने सअलब, इब्ने दिद्वीन इब्ने असद इब्ने हजिमिया अबू हजल असदी सअदी, आप बड़े शरिफुन नफ्स और शरिफुल कौम थे इबादत और जुहद में दर्ज-ऐ-कमाल पर फाएज़ थे आप को सहाबी-ऐ- रसूल होने का भी शरफ हासिल था इस्लामी फुतुहात में आप ने बड़े बड़े कार नुमाया किये है‌ 24 हिजरी में फतहे आजरबाईजान में हज़िफा यमान के हमराह जो नुमायाँ उन्होंने किया है वह तारिख में यादगार है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आप का पूरा नाम व नसब ये है की मुस्लिम इब्ने औसजा इब्ने सअलब: इब्ने दिद्वीन इब्ने असद इब्ने हजिमिया अबू हजल असदी सअदी आप के बड़े शरिफुन नफ्स और शरिफुल कौम थे इबादत और जुहद में दर्ज-ऐ-कमाल पर फाएज़ थे।

आप को सहाबी-ऐ- रसूल होने का भी शरफ हासिल था। इस्लामी फुतुहात में आप ने बड़े बड़े कार नुमाया किये है‌। 24 हिजरी में फतहे आजरबाईजान में हज़िफा यमान के हमराह जो नुमायाँ उन्होंने किया है वह तारिख में यादगार है ।

इमामे हुसैन अलै० को दावते कूफा देने वालो में आप का इसमें गिरामी भी है। आप ने मुस्लिम इब्ने अकील की मग्बुलियत और बाद में उनके तहाफुज़ में कमाले खुर्मो अहतियात का सबूत दिया इब्ने ज़ियाद के कूफे आने के बाद जनाबे मुस्लिम इब्ने औसजा ने ही काबाइले तमीम व हमदान कुंडा दरबइअ: को साथ लेकर दारुल अमारा पर हमला किया था।

मुस्लिम इब्ने अकील और हानि इब्ने अर्वाह की शहादत और शरीक इब्ने अउर ( जो पहले से अलील था ) की वफात के बाद मुस्लिम इब्ने औसजा थोड़े अरसे रूपोश रहे फिर बाल-बच्चो समेत कूफे से पोश्दगी के साथ रवाना होकर कर्बला पहुचे ।

नौ मुहर्रम की शाम को जब इमाम हुसैन अलै० ने खुतबे में फरमाया था की यह लोग सिर्फ मेरा खून बहाना चाहते है ऐ मेरे असहाब-ओं-अइज्जा तुम अगर जाना चाहो तो यहाँ से चले जाओ । मै तौके बैअत तुम्हारी गर्दनो से हटा लेता हूँ । इस के जवाब में अइज्जा की तरफ से हजरते अब्बास और असहाब की जानिब से मुस्लिम इब्ने औसजा ने ही कहा था की ये हो ही नहीं सकता हम अगर सारी उम्र मारे और जिलाए जाये तब भी आप ही के साथ रहे । आप की खिदमत में शहादत सआदते उज़मा है ।

शबे आशूर जब खंदक के गिर्द आग जलाने पर शिमर ने ताना जनि की तो उस का मुंह तोड़ जवाब मुस्लिम इब्ने औसजा ने ही दिया था ।

सुबहे आशूर जब लश्करे इब्ने साद ने हमला-ऐ-ग्रां किया था तो उस वक्त मुस्लिम इब्ने औसजा ने ऐसी तलवार चलाई और वो मार्के किये की किसी ने भी कभी ऐसा देखा न सुना था ।

आप बड़ी बेजिग्री से लड़ रहे थे की मुस्लिम इब्ने अब्दुल्लाह जुब्यानी और अब्दुल्लाह इब्ने खाश्कार ने आप पर एक साथ हमला कर दिया मैदान गर्द से पुर था जब गर्द बैठी तो मुस्लिम इब्ने औसजा खाको खून में लोटते देखे गए ।

इमाम हुसैन अलै० ने बढ़कर मुस्लिम की दिलजोई की और उन्हें दुआऐ दी। आप की शाहदत पर लोगों ने ख़ुशी का इज़हार किया तो सबस इब्ने रबई ने जो अगर चे दुश्मन था बोला अफ़सोस तुम ऐसी शख्सियत की शहादत पर ख़ुशी का इज़हार कर रहे हो जिन के इस्लाम पर एहसानात है उन्होंने ने जंगे आज़रबाईजान में छ; मुशरिको को एक साथ कत्ल कर के दुश्मनों की कमर तोड़ दी थी।

आप की शहादत के बाद आप के फरजंद मैदान में आये और आप ने जबरदस्त नबर्द आजमाई की और आप तीस दुश्मनों को कत्ल कर के खुद भी शहीद हो गये ।

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