۳۱ اردیبهشت ۱۴۰۳ |۱۲ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | May 20, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा / अगर एतेकाफ़ वाजिब ना हो(नज़र,कस्म,अहद की वजह से) तो एहतियात के तौर पर एतिकाफ करने वाले के लिए किसी भी तरह के इत्र को सुगना चाहे इससे लज्ज़त महसूस करें या ना करें जायज़ नहीं है और खुशबू दर घास सुंगना उस सूरत में जबकि इसके सुगघने से लज्जत महसूस करें जायज नहीं हैं,और अगर इसके सुंघने से लज्जत महसूस ना हो तो कोई हर्ज नहीं हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवाल : एतेकाफ़ की हालत में खुशबू का सुंघना कैसा हैं?

जवाब : अगर एतेकाफ़ वाजिब ना हो(नज़र,कस्म,अहद की वजह से) तो एहतियात के तौर पर एतिकाफ करने वाले के लिए किसी भी
तरह के इत्र को सुगना चाहे इससे लज्ज़त महसूस करें या ना करें जायज़ नहीं है और खुशबू दर घास सुंगना उस सूरत में जबकि इसके सुगघने से लज्जत महसूस करें जायज नहीं हैं,और अगर इसके सुंघने से लज्जत महसूस ना हो तो कोई हर्ज नहीं हैं।

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