हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِنَّ فِي خَلْقِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَاخْتِلَافِ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ لَآيَاتٍ لِأُولِي الْأَلْبَابِ इन्यना फ़ी ख़ल्क़िस समावाते वल अर्ज़े वखतिलाफ़िल लैले वन्नहारे लेआयातिन ऊलिल अलबाब (आले-इमरान 190)
अनुवाद: वास्तव में, आकाशों और धरती की रचना में, और रात और दिन के आने और जाने में, समझ वालों के लिए निशानियाँ हैं।
विषय:
अल्लाह की शक्ति और महानता के लक्षण
पृष्ठभूमि:
यह आयत लोगों को अल्लाह की शक्ति की ओर आकर्षित करती है। सूरह अल-इमरान एक मदनी सूरह है और इसमें विश्वासियों को विश्वास की गहराई और विश्वास की ताकत सिखाई जाती है। इस आयत में, अल्लाह ताला अपने रचित ब्रह्मांड के संकेतों की ओर इशारा कर रहा है और बुद्धिमानों को उन पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है ताकि वे अल्लाह की महानता और उसकी रचनात्मकता को पहचान सकें।
तफसीर:
इस आयत में अल्लाह तआला ने अपने प्राणियों की निशानियों का जिक्र किया है जो इंसान को विचार करने के लिए आमंत्रित करती हैं। आकाश और पृथ्वी का निर्माण, और रात और दिन का क्रम स्पष्ट प्रमाण है कि इस ब्रह्मांड का एक निर्माता है जो सर्वशक्तिमान है।
बुद्धिमान पुरुष (ओवली अल-अलबाब) उन लोगों को संदर्भित करते हैं जो इन संकेतों पर ध्यान देते हैं और उनके माध्यम से अल्लाह का ज्ञान प्राप्त करते हैं। समय का रात और दिन के अलग-अलग घंटों में विभाजन और पृथ्वी और आकाश का निर्माण एक प्रणाली द्वारा संचालित होता है, जो एक महान ज्ञान और योजना का संकेत देता है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान