हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा इराफी ने कुर्दिस्तान के अहल-ए-सुन्नत इमामे जुमा व जमात के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान कहा कि आज के दौर में न केवल इस्लाम बल्कि सभी धार्मिक विचार हमलों और खतरों का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि एकेश्वरवादी धर्मों विशेष रूप से मुसलमानों को इन हमलों का मुक़ाबला करने के लिए एकता और सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
यह मुलाकात क़ुम में हौज़ा-ए-इल्मिया ईरान के कार्यालय में हुई जहां आयतुल्लाह आराफी ने उम्मत-ए-वहिदा की स्थापना और एकता के महत्व पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि ज्ञान और विचार के केंद्रों को सभी इस्लामी मतों के लिए खुला होना चाहिए ताकि उम्मत-ए-इस्लामिया को मजबूत किया जा सके।
आयतुल्लाह इराफी ने जामेआतुल अलमुस्तफ़ा अल-आलमिया का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस संस्था ने शिया अहल-ए-सुन्नत और साझा केंद्रों के माध्यम से इस्लामी मतों के बीच ज्ञान और विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है जो अपनी तरह का अनूखा अनुभव है।
उन्होंने आगे कहा कि ज्ञान प्रणालियां ऐसी होनी चाहिए जो संवाद सहयोग और आपसी तालमेल को बढ़ावा दें इस संदर्भ में अल-अज़हर मिस्र और दुनिया के अन्य धार्मिक केंद्रों को आमंत्रित किया कि वे इस मॉडल को अपनाएं उम्मत ए वहिदा की मजबूती के लिए ज्ञान और विचार के केंद्रों के दरवाजे खुले रखने की आवश्यकता हैं
आयतुल्लाह आराफी ने कहा कि उम्मत ए इस्लामिया की पहचान और उसकी मजबूती बुनियादी महत्व रखती है इसलिए इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह ज़रूरी है कि सभी इस्लामी मत एक-दूसरे के लिए अपने दरवाजे खुले रखें।
उन्होंने कहा कि ज्ञान और विचार के केंद्रों के बीच संवाद और उम्मत-ए-वहिदा की पहचान को मजबूत करने के लिए दरवाजे खुले रखना आवश्यक है शिया और अहल-ए-सुन्नत के बीच सहयोग और संयुक्त कार्य को वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों के अनुसार बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
अंत में आयतुल्लाह आराफी ने ज़ोर देकर कहा कि सभी इस्लामी मतों को आज के वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान देना चाहिए और एकता और सामंजस्य के माध्यम से उनका सामना करना चाहिए।
मुलाकात की शुरुआत में अहल ए सुन्नत के इमामे जुमा व जमात कुर्दिस्तान ने उम्मत-ए-मुस्लिम की एकता के संबंध में अपनी राय और सुझाव प्रस्तुत किए।
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