हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
يَا أَيُّهَا النَّاسُ اتَّقُوا رَبَّكُمُ الَّذِي خَلَقَكُمْ مِنْ نَفْسٍ وَاحِدَةٍ وَخَلَقَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَبَثَّ مِنْهُمَا رِجَالًا كَثِيرًا وَنِسَاءً ۚ وَاتَّقُوا اللَّهَ الَّذِي تَسَاءَلُونَ بِهِ وَالْأَرْحَامَ ۚ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَلَيْكُمْ رَقِيبًا ऐया अय्योहन्नासुत तक़ू रब्बकोमुल लज़ी खलककुम मिन नफसिन वाहेदतिन व खलका मिन्हा ज़ोजहा व बस्सा मिन्होमा रेजालन कसीरन व नेसाअन वत्तक़ुल्लाहल लज़ी तसाअलूना बेहि वल अरहामा इन्नल्लाहा काना अलैकुम रक़ीबा (सूर ए नेसा, 1)
अनुवाद: लोग! उस प्रभु से डरो जिस ने तुम सब को एक ही प्राण से उत्पन्न किया, और अपना जोड़ा एक ही लिंग से उत्पन्न किया, और फिर पुरूषों और स्त्रियों दोनों में से बहुतायत में संसार में फैला दिया, और उस परमेश्वर से डरो जिसके द्वारा एक दूसरे से प्रश्न पूछे जाते हैं और रिश्तेदारों की असम्बद्धता के विषय में भी - अल्लाह तुम्हारे सभी कर्मों का देखने वाला है।
विषय:
यह कविता मानव निर्माण, पवित्रता और सामाजिक अधिकारों और जिम्मेदारियों, विशेष रूप से मानव समाज में रिश्तों की पवित्रता और सम्मान के बारे में है।
पृष्ठभूमि:
रहस्योद्घाटन के क्रम के अनुसार, यह सूरह सूरह मुतहनह के बाद प्रकट हुई थी। केवल आयत 58 मक्का में प्रकट हुई, शेष सूरह मदीना में प्रकट हुई। इसका मुख्य विषय इस्लामी सामाजिक कानूनों, महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय की स्थापना है। यह सूरह सामाजिक सुधार और इस्लामी कानून के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है।
तफसीर:
- धर्मपरायणता का उपदेश: यह श्लोक धर्मपरायणता के उपदेश से शुरू होता है, जो मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है। अल्लाह ने तक़वा का हुक्म इसलिए दिया है कि इंसान अपने आचरण और आचरण में सुधार लाये।
- इंसान की रचना: अल्लाह ताला ने इस आयत में इंसानों को याद दिलाया है कि वे सभी एक ही आत्मा से पैदा हुए हैं और उसी से जुड़े हुए हैं। यह बात इंगित करती है कि मनुष्य एक ही मूल के हैं और उनके बीच कोई श्रेष्ठता या नस्लीय अंतर नहीं होना चाहिए।
- पारिवारिक रिश्ते: आयत में, अल्लाह पारिवारिक रिश्तों का सम्मान करने और उनकी देखभाल करने के महत्व पर जोर देता है। रिश्तों के मूल्य और उनके अधिकारों के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित किया जाता है।
- अल्लाह की निगरानी: आयत के अंत में याद दिलाया गया है कि अल्लाह हर चीज़ का निरीक्षण करने वाला है, अर्थात मनुष्य के सभी कार्य अल्लाह के ज्ञान के अधीन हैं, इसलिए मनुष्य को अल्लाह से डरना चाहिए और उसकी अवज्ञा से बचना चाहिए।
परिणाम:
यह आयत इस्लामी समाज के बुनियादी सिद्धांतों को स्पष्ट करती है: धर्मपरायणता, समानता, पारिवारिक अधिकारों के लिए सम्मान और ईश्वर की देखरेख की भावना। यह श्लोक हमें एक आदर्श समाज बनाने के लिए मार्गदर्शन करता है जहां हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा की जाती है और हर कोई जिम्मेदारी दिखाता है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए नेसा