हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत को "बिहार उल-अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیهِ السلام:
اِنَّ الْحُـرَّ حُرٌّ عَلى جَميِع اَحْوالِهِ اِنْ نابَتْهُ نائِبَةٌ صَبَرَ لَها، وَ اِنْ تَدارَكَتْ عَلَيْهِ الْمَصائِبُ لَمْ تَكْسُرْهُ وَ اِنْ اُسِرَ وَ قُهِرَ وَ اسْتُبْدِلَ بِالْيُسْرِ عُسْراً.
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक (स.अ.) ने फ़रमाया:
आजाद आदमी हमेशा आजाद होता है। यदि उसे कोई घटना पेश आ जाए, तो वह उस पर धैर्य रखता है, और यदि कोई विपत्ति उस पर आती है, तो वह उसे तोड़ नहीं सकती चाहे वह गिरफ्तार हो जाए, और उसका आराम कठिनाई में बदल जाए।
बिहार उल-अनवार, भाग 96, पेज 71