हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के प्रसिद्ध आयतुल्लाह नासिर मकारिम शिराज़ी ने फुटबाल के खिलाड़ीयो के लिए रोज़ा रखने से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।जो लोग शरई अहकाम मे दिल चस्पी रखते है हम उनके लिए पूछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ बयान कर रहे है।
प्रश्न: मैंने यूरोप में एक फुटबॉल क्लब के साथ एक वर्ष के लिए उनके इख्तियार मे रहने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, भविष्य की प्रतियोगिताओं में सफलता के लिए अग्रणी सभी खेल और कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए कुछ कठिन शारीरिक व्यायाम होता है उनके अधीन रहूंं जबकि शारीरिक व्यायाम अभ्यास का कुछ हिस्सा रमज़ान मे होता है जिसका रोज़ा रखकर करना संभव नहीं है, और दूसरी ओर, क्लब के संरक्षक कहते हैं, "आप एक आस्तिक और धर्मनिष्ठ व्यक्ति हैं, और हमने पहले ही लाखो खर्च करके तुम्हार समय खरीदा है, अब यदि इन अभ्यासों में आपके भाग न लेने के कारण टीम हार जाती है, तो मैं आपसे संतुष्ट नहीं हूँ, क्योंकि आप इस वर्ष हमसे वेतन लेंगे, हालाँकि, आपने हमारे साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, इसलिए आपको रोज़ा नहीं रखना चाहिए ।”
क्या मुझे इस क्लब के साथ अनुबंध और इस टीम में बने रहने की प्रतिबद्धता के आधार पर और इस टीम की सफलता के लिए (जिसका लाजमा रोज़ा नहीं रखना है) रोज़ा न रखूं और अगले साल इसकी क़ज़ा करूं?
उत्तर: इस तरह के समझौते करना एक मुसलमान का सम्मान नहीं है क्योंकि यह समझौता शरीयत के अनुसार बातिल है। हालांकि, हमें दूसरों को बताना चाहिए कि हमारा धार्मिक विश्वास इसकी अनुमति नहीं देता है। हा अगर कोई राहे हल नही है तो रमज़ान की पहली तारीख को एक घंटे के लिए कहीं चले जाएं और वापस आए और फिर दस दिनों से पहले ऐसा ही सफर करें, बशर्ते आप वहां लंबे समय तक उदाहरण के लिए एक वर्ष तक रहें।