हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस परंपरा को “बिहार अल-अनवार” पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال رسول الله صلی الله علیه وآله:
حَرسُ لَیلة فی سبیلِ الله عَزوجلّ أفضلُ مِن ألفِ لیلةٍ یُقامُ لیلَها و یُصامُ نهارَها
पैगंबर (स) ने फ़रमाया:
अल्लाह की राह में एक रात जागना उन दिनों की इबादत और रोज़े में बिताई गई एक हज़ार रातों से बेहतर है।
बिहार उल-अनवार, भाग 63, पेज 250
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