हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत को "बिहार उल-अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الباقر علیه السلام:
إِنَّ اللهَ تَعالَي أَشَدُّ فَرَحاً بِتَوْبَةِ عَبْدِهِ مِنْ رَجُلٍ أَضَلَّ راحِلَتَهُ وَزادَهُ فِي لَيْلَةٍ ظَلْماءَ فَوَجَدَها فَاللهُ أَشَدُّ فَرَحاً بِتَوْبَةِ عَبْدِهِ مِنْ ذَلِكَ الرَّجُلِ بِراحِلَتِهِ حِينَ وَجَدَها
हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.) ने फ़रमाया:
अल्लाह तआला अपने सेवक के पश्चाताप से अधिक प्रसन्न होता है, उस व्यक्ति की तुलना में जो अपना कारवां खो देता है और फिर उसे रात के अंधेरे में पाता है, इसलिए अल्लाह तआला ऐसे व्यक्ति की तुलना में अपने बंदे के पश्चाताप (तोबा) से अधिक प्रसन्न होता है।
बिहार उल-अनवार, भाग 6, पेज 33