हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हौज़ा ए इल्मिया ईरान के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सय्यद मुफीद हुसैनी कोहसारी ने कहा है कि हज़रत फातिमा ज़हरा सलामुल्ला अलैहा पूरी कायनात में इंसान और खुदा-ए-मुतआल के बीच राब्ता और इत्तिसाल का सबसे अज़ीम वसीला हैं, जिन की मारिफत इंसान को कुरब-ए-इलाही तक पहुँचाती है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन कोहसारी ने क़ज़्वीन में शहादत-ए-हज़रत फातेमा ज़हरा सलामुल्ला अलैहा की मुनासिबत से मुनक़द मजलिस में खिताब करते हुए कहा कि बीबी-ए-दो आलम सल्लल्लाहु अलैहा पैगंबरी और इमामत के बीच एक मुक़द्दस और ना-गुज़ीर हल्का-ए-इत्तिसाल हैं, जिन्होंने उम्मत-ए-इस्लामिया तक मआरिफ-ए-नबुवत और तआलीमात-ए-इमामत की सही और महफ़ूज़ शक्ल पहुँचाने में बे-मिसाल रोल अदा किया।
उन्होंने कहा कि हज़रत ज़हरा सलामुल्ला अलैहा का वजूद खुदावंद-ए-मुतआल की सबसे बड़ी नेमत है, और हमें इस अज़ीम अतिया-ए-इलाही पर हमेशा शुक्रगुज़ार रहना चाहिए।
हौज़ा ए इल्मिया ईरान के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख ने मज़ीद कहा,मुश्किलात और गिरफ़्तारियों में सबसे कारगर वसीला हज़रत ज़हरा सलामुल्ला अलैहा का तवस्सुल है। अगर कोई परेशानी लाहिक हो तो इस दरूद को इख्लास (ईमानदारी) के साथ एक बार पढ़ें, «اَللّهُمَّ صَلِّ عَلی فاطِمَة وَ اَبیها وَ بَعْلِها وَ بَنیها وَ سِرِّ الْمُسْتَوْدَعِ فیها بِعَدَدِ ما اَحَاطَ بِهِ عِلْمُکَ»
उन्होंने कहा कि कुरआन और हदीसों में हज़रत फातेमा सलामुल्ला अलैहा की अज़मत, मकाम और तहारत के बारे में बेशुमार दिलनशीं और ईमान अफ़रोज़ बयानात मौजूद हैं, जो इस बात की गवाही देते हैं कि आप हिदायत-ए-इंसानियत का मर्कज़ी नुक़ता हैं।
अपने खिताब के इख्तिताम पर उन्होंने कहा कि खुदावंद-ए-आलम ने हमें दुनिया में इसलिए रखा है कि हम कुरब-ए-इलाही तक पहुँच सकें, और यह रास्ता अहल-ए-बैत अलैहिमुस्सलाम की पैरवी के बग़ैर मुमकिन नहीं है। मोमिनीन को चाहिए कि दुआ, मुनाजात और शुक्रगुज़ारी को अपनी ज़िंदगी का मुस्तकिल हिस्सा बनाएँ और खुदा की नेमतों को उसकी रज़ा के रास्ते में इस्तेमाल करें।
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