हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, उम्मुल-मसाब, आलेम-ए-ग़ेरे मोअल्लेमा, सानी ज़हरा, हज़रत ज़ैनब-ए- काबरा, की पुण्यतिथि के अवसर पर, अंजुमन-ए-जमीयत उलेमा इसना अशरिया कारगिल द्वारा शोक समारोह आयोजित किया गया। जिसमे उलेमा काउंसिल जमीयत उलेमा इसना अशरिया कारगिल के अलावा, कारगिल जिले के विभिन्न हिस्सों और राजधानी के आसपास के इलाकों से हजारों श्रृद्धालुओ ने शोकसभाओं में भाग लिया और आंसुओं के माध्यम से हज़रत ज़ैनब (स.अ.) की शहादत को याद किया।
इस अवसर पर, मुम्बई, महाराष्ट्र से आए प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान खतीब अहलेबेत हुज्जतुल-इस्लाम सैय्यद नसीमुल-हसन रिज़वी ने हज़रत ज़ैनब के जीवन की व्याख्या करते हुए उनपर किए जाने वाले जुल्मो पर प्रकाश डाला। शोक सभा मे सम्मिलित सभी महिलाओ को हजरत जैनब (स.अ.) के जीवन को अपनाने पर जोर दिया।
हुज्जतुल-इस्लाम सैयद नसीमुल-हसन रिजवी ने बच्चों के पालन-पोषण के बारे में आइम्मा (अ.स.) की रिवायात का उल्लेख करते हुए कहा आखरी ज़माने के लिए विशेष रूप से आइम्मा-ए-अतहार (अ.स.) ने बच्चों के पालन-पोषण पर जोर दिया। यदि माता-पिता अपने बच्चो को अच्छा पालन-पोषण नही करेंगे तो बच्चे नरक की ओर चले जाएंगे, आखरी जमाने के बच्चो के लिए नरक की एक घाटी है जो सख्त सजाओ के लिए है। इसलिए, यदि आप अपने बच्चों को नर्क के इन दण्डों से बचाना चाहते हैं, तो अहलेबैत (अ.स.) के पदचिन्हो पर चलते हुए अपने बच्चों का पालन-पोषण करें ताकि हमारे बच्चे दुनिया और आखिरत दोनो मे सफल हो जाएं।
नसीमुल-हसन रिजवी ने कुरआन के सबसे छोटे सूरे के संबंध मे कहा कि इस्लाम के पैगंबर (स.अ.व.व.) की नसल जो हज़रत ज़हरा (स.अ.) से चली है। यह कौसर कहलाती है। उन्होने आगे कहा कि कर्बला की घटना के बाद हज़रत ज़ैनब-ए- कुबरा (स.अ.) ने अपने प्रशिक्षण के साथ ऐसी क्रांति लाई कि मुहम्मद (स.अ.व.व.) के परिवार की शिक्षाएँ हम तक पहुँची और शोक है कि हमने इसे लाने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया है, इसलिए हम सभी को इस शोक की रक्षा करनी चाहिए।