हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हैदराबाद / उलमा और खुत्बा हैदराबाद दक्खन ने एक संदेश में कहा कि कैथोलिक ईसाई धर्म के आध्यात्मिक नेता और कैथोलिक चर्च और वैटिकन सिटी स्टेट के प्रमुख पोप फ्रांसिस आज कल अपनी एक यात्रा को लेकर काफी चर्चा में हैं। वैसे समय-समय पर विभिन्न देशों का दौरा करते हैं। इस बार इराक में ईसाइयों ने उन्हें इराक में ईसाई धर्म के लिए खतरे के मद्देनजर इराक आने के लिए आमंत्रित किया, जिसे पोप फ्रांसिस ने स्वीकार कर लिया और वेटिकन मे कहा मै इराक की तीन दिवसीय यात्रा पर जाऊंगा। क्योंकि मैं लंबे समय से उन सभी लोगों से मिलना चाहता हूं, जिन्हे इराक में इतना नुकसान उठाना पड़ा है।
लंबे समय से पोषित इस सपने को पूरा करने के लिए, पोप फ्रांसिस 5 मार्च से इराक की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। उनके आगमन पर इराक में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। जब वह हवाई अड्डे पर पहुंचे तो उनका स्वागत उच्च पदस्थ अधिकारियों ने किया। सैनिकों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। ईसाइयों से मिलने के अलावा, उनका कार्यक्रम बगदाद में राष्ट्रपति ब्राह्म सालेह से मिलने का है। कर्बला, माली और नजफ अशरफ का दौरा करेंगे और उनकी एक इच्छा इराक के सर्वोच्च धार्मिक नेता और शिया जगत के प्रमुख आयतुल्लाह सिस्तानी से मिलने की थी। यही कारण है कि उन्होंने शनिवार सुबह 6 मार्च को नजफ अशरफ में आयतुल्लाह सिस्तानी के घर पहुंचे और 35 मिनट तक बंद कमरे मे बैठक चली।
इस बैठक के बाद आयतुल्लाह सिस्तानी के कार्यलाय द्वारा जारी बयान बहुत महत्वपूर्ण है।
।- अयातुल्ला सिस्तानी ने मानवता के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए अम्बियाओ की शिक्षाओं का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया।
2- विभिन्न देशों विशेष रूप से मध्य पर्व में लोगों पर होने वाले अत्याचार-उतपीड़न, और बुनियादी स्वतंत्रता से वंचित और सामूहिक न्याय की कमी और विशेषकर फिलिस्तीन के दबे-कुचले लोगों के उत्पीड़न का उल्लेख किया।
3- उन्होंने इराक के महान इतिहास और विभिन्न धर्मों से संबंधित इराकी लोगों की विशेषताओं का वर्णन किया और उम्मीद जताई कि, इराक जल्द ही कठिन स्थिति से उभर जाएगा।
4- आपने इराक के विभिन्न क्षेत्रो मे आतकवादियो विशेष रूप से आईएसआईएस की आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ मरजेइयत की ओर से द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया।
5- उन्होंने कैथोलिक समुदाए के अनुयायीयो और पूरी दुनिया की मानवता की खुशी की कामना की।
6- सबसे महत्वपूर्ण बात जिस पर आपने जोर दिया है, वह यह है कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और मानवीय सहानुभूति के मूल्यों को समाज में विकसित करने की आवश्यकता है और आपने कहा कि यह सब तब होगा जब विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के अनुयायी और विचारधारा के स्कूल आपस मे सम्मान का रिश्ता और एक दूसरे के अधिकारों का ख्याल रखेगे।
हम मानते हैं कि, इंशाअल्लाह, पोप फ्रांसिस और आयतुल्लाहिल उज़मा सिस्तीनी के बीच हुई बैठक ईसाई-मुस्लिम संबंधों को बहाल करेगी, साथ ही साथ यूरोप और संयुक्त राज्य में मुसलमानों के खिलाफ धार्मिक पूर्वाग्रह को काफी हद तक कम करेगी। फ्रांस का इस्लामोफोबिया समाप्त हो जाएगा। इंशाल्लाह, यह बैठक सभी दिव्य धर्मों के लिए पवित्र होगी।
इराकी लोगों ने ईसाई नेता के स्वागत में जो पोस्ट लगाए उनमे यह भी देखने मे आया जिस पर लिखा था, "यह सौ प्रतिशत सच लगता है कि अगर आज इराक में चर्च की घंटियां बज रही हैं, तो यह कासिम सुलेमानी और अबू मेहदी मोहंदिस के बलिदान का परिणाम है।
आईएसआईएस के खिलाफ युद्ध के दौरान आयतुल्लाह सिस्तानी के कार्यालय द्वारा जारी एक निर्देश में, मीडिया जगत में जोर दिया गया था कि युद्ध के दौरान निहत्थे लेकिन हथियार से लैस दुश्मन के साथ कोई अत्याचार नही होना चाहिए, उनके जीवन को अपना जीवन समझे उनके माल और संम्पत्ति को अपना माल व सम्पत्ति समझे।
जब शिया स्वयंसेवक बल ने आईएसआईएस की घेराबंदी तोड़कर ईसाई शहर बाईजी में प्रवेश किया और ईसाइयों को आईएसआईएस से बचाया, तो एक ईसाई महिला ने शहर के सबसे बड़े चर्च की दीवार पर लिखा:
हे मैरी, आराम के लिए सो जाओ। मसीह को फिर से क्रूस पर नहीं चढ़ाया जाएगा। ज़हरा के बेटे हमारी सहायता के लिए आए हैं। यह शिया और शिया नेतृत्व और शिया नायकों की पहचान है।
मजम-ए-उलमा खुत्बा हैदराबाद दक्खन, ईसाई जगत के नेता पोप फ्रांसिस और आयतुल्लाहिल उजमा सिस्तानी के साथ बैठक का स्वागत करता है और निकट भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम की उम्मीद करता है।