हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ उत्तर प्रदेश,कारवान ए ज़व्वार ए हुसैनी की संरक्षक धार्मिक विद्वान मौहतरमा ज़हरा ईरानी ने अपने एक बयान में कहा कि कूफा पहुंचने के बाद इमाम जैनुल आबेदीन अ.स. ने लोगों को खामोश रहने का इशारा किया, सब ख़ामोश हो गए।
आप खड़े हुए और ख़ुदा की हमदो सना की हज़रत बनी सालिम का ज़िक्र किया। उन पर सलवात भेजी। फिर मेरा मौला ने इरशाद फ़रमाया ए लोगों जो मुझे पहचानता है वह तो पहचानता ही है जो नहीं पहचानता उसे में बताता हूं। में अली इब्नुल हुसैन अली इब्ने अबी तालिब हूं ऐ लोगो में उसका बेटा हूं जिसकी बे हुरमती की गयी, जिसका सामान लूट लिया गया। जिसके अहेलों अयाल कैद कर लिए गए।
मैं उसका फरजन्द हूं जो साहिल ए फुरात पर ज़बह कर दिया गया, और बगैर क़फ़न व दफ़न छोड़ दिया गया और शहादत ए हुसैन हमारे फख्र के लिए काफ़ी है। धार्मिक विद्वान मौहतरमा ज़हरा ईरानी ने मज़ीद कहा कि इमाम ने फरमाया ए लोगों मैं तुम्हें खुदा की कसम देता हूं जरा सोचो तुमने ही मेरे पदरे बुजुर्गवार को खत लिखा और फिर तुमने ही उनको धोखा दिया। तुमने ही उनके साथ अहदो पैमान किया और उनकी बेयत की फिर तुमने ही उनको शहीद कर दिया।
ज़हेरा ईरानी ने ज़ोर देते हुए कहा के मेरे मौला सैय्यद ए सज्जाद (अ.स) कूफीयों से कहते हैं तुम्हारा बुरा हो तुमने मेरे लिए हलाकत का सामान इकट्ठा कर लिया तुम्हारी राहें किस कदर बुरी हैं तुम किन आंखों से रसूल को देखोगें जब रसूल बाज़ पुर्स करेंगे कि तुम लोगों ने मेरी इतरत को कत्ल किया और मेरे अहले हरम को ज़लील किया। इसलिए तूम मेरी उम्मत नहीं।