۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
शौकत भारती

हौज़ा / रसूल अल्लाह ने  कलेजा चबाने वाले गैंग को माफ नहीं किया था बल्कि वाजीबुल कत्ल होने के बाद भी जान बक्श दी थी  ये सारे कातिल और जालिम सजा के मुस्तहेक थे, अपने चचा का कच्चा कलेजा चबाए जाने वाले जुल्म पर रसूल अल्लाह ने सब्र कर लिया और इस शर्त के साथ उनकी जान बक्श दी मुआवीया की मां हिंदा और हब्शी कभी रसूल अल्लाह के सामने न आएं। 

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

लेखकः शौकत भारती 

यजीद के बाप और यजीद के खानदान की वकालत करने वालों  से मेरा सवाल है की रसूल अल्लाह को सबसे ज्यादा अजीयत देने वाले और सबसे ज्यादा जंगे करने वाले कलेजा चबाने वाली  हिंदा के शौहर अबू सूफियान उसके बेटे माविया और पूरे  सुफियानी गैंग को जब रसूल अल्लाह ने बता दिया था की ये पूरा गैंग मोअल्लीफतुल कुलूब है तुलका हैं यानी दिल से मुसलमान नहीं हैं तो फिर इन लोगों को किसने,क्यों और कैसे मुसलमानों पर मुसल्लत कर दिया और क्यों इनको तुल्का समझना बंद कर के सहाबी बताना शुरू कर दिया और जिस कबीले के जुल्म बरबरियत और दहशत गर्दी और घमंड को रसूल अल्लाह ने बड़ी मेहनत से और बड़ी कुर्बानी दे कर चूर चूर किया था और जिन्हें इतना जलील कर दिया था की फतह मक्का के दिन मजबूरन इस्लामी लश्कर के सामने जान बचाने के लिए सरंडर हो गए थे आखिर वो पूरा गैंग कैसे इतना पावर फुल हो गया की रसूल अल्लाह के पूरे खानदान को उसने कर्बला में तराज कर दिया,मदीने को तराज कर दिया, मक्के को तराज कर दिया। याद रखिए रसूल अल्लाह ने  कलेजा चबाने वाले गैंग को माफ नहीं किया था बल्कि वाजीबुल कत्ल होने के बाद भी जान बक्श दी थी  ये सारे कातिल और जालिम सजा के मुस्तहेक थे, अपने चचा का कच्चा कलेजा चबाए जाने वाले जुल्म पर रसूल अल्लाह ने सब्र कर लिया और इस शर्त के साथ उनकी जान बक्श दी मुआवीया की मां हिंदा और हब्शी कभी रसूल अल्लाह के सामने न आएं।

क्यों की रसूल अल्लाह इन्हे पक्का मुसलमान नहीं मानते थे  और जानते थे की ये लोग दिल से मुसलमान नहीं हैं इस लिए रसूल अल्लाह ने इनको एक नया नाम  तुल्का और मोअल्लीफतुल कुलूब दिया और आखीर तक इन्हे इसी नाम से पुकारते रहे रसूल अल्लाह जानते थे की ये खानदान फिर इस्लाम को नुकसान पहुंचाए गा इस लिए रसूल अल्लाह हिंदा के बेटे माविया के बारे में बता भी गए थे की हिंदा का बेटा जहन्नम की तरफ बुलाने वाले इस्लाम के बागी गिरोह का सरदार होगा यानी तुलका आगे चल कर अपना असली रूप जाहिर करेंगे और वो रूप सिफफीन में वो सबके सामने  उस वक्त आ भी गया जब वो गिरोह हजरत अली के खिलाफ लश्कर ले कर आ गया और हजरत अम्मार को शहीद कर के अपने जहान्नामी और बागी होने का सुबूत दे गया। याद रखिए तुलका और मोअल्लीफतुल कुलूब भी एक किस्म के इस्लाम दुश्मन और मुनाफिक थे और जंगे सिफफीन में पूरी तरह से खुल गए लेकिन फिर भी बहुत से मुसलमान उस जहन्नममी और बागी गिरोह के सरदार से चिपके हुए हजरत अली से लड़ते रहे।

हजरत अली की शहादत के बाद जब इमाम हसन खलीफा बने तब भी ये गिरोह कत्ल वा गारत गरी और दहशत गर्दी की वारदातें अंजाम देता रहा और इमाम हसन के रास्ते में रोड़ा अटकाता रहा,माविया किसी भी तरह हुकूमत हासिल करना चाहता था और इमाम हसन उसे रोकना चाहते थे मगर मुसलमानों की बुजदिली की वजह से इमाम हसन माविया को लगाम नहीं लगा सके और हालात बद से बदतर होने लगे इमाम हसन जानते थे की मुआवीया हुकूमत के लिए कुछ भी कर सकता है यही वजह थी इमाम हसन ने कत्ल और फसाद को रोकने के लिए  सुलह की शर्तों की जंजीर में माविया को जकड़ कर उसे हुकूमत दे दिया और इस तरह मुआवीया की फैली हुई दहशत गर्दी और कत्ल वा गारत गरी पर रोक लगाई जा सकी। समझौते के शर्त में लिख दिया गया था की मुआवीया कुरान और सुन्नत पर ही अमल करेगा,मुआवीया मस्जिदों से हज़रत अली को गालियां नहीं देगा,क्यों की बनू ऊमय्या अली को मस्जिदों के मिंबरों से गालियां देते थे गालियां भी इसी लिए देते थे क्योंकि वो सब जानते थे की रसूल अल्लाह की दीफा में हमेशा अली के बाप अली के चाचा और अली ही आगे आगे थे जिसकी वजह से ये लोग रसूल अल्लाह को कत्ल नहीं कर पाए थे,माविया के भाइयों माविया के नाना मुआवीया के मामू सभी जनाबे हमजा और हजरत अली के हाथो ही जंग में मारे गए थे और अबू सूफियान को हर जंग  हारनी पड़ती थी क्यों की अली की जुल्फिकार अबू सूफियान के लश्कर का खून पी लेती थी और अबुसूफियान और हिंदा का गैंग पूरी ताकत लगा देने के बाद भी रसूल अल्लाह को कत्ल करने में कामियाब नहीं हो पाया था, जनाबे हम्ज़ा पर जैसे ही उनका बस चला तो उनका कलेजा चबा कर इन लोगों ने अपनी नफरत को दिखा दिया अली पर बस नहीं चला तो मस्जिद के मिंबरों से अली को गालियां देते और दिलवाते थे,अली के बेटे इमाम हसन से हुकूमत लेने के बाद भी इमाम हसन की जहर दिलवा दिया माविय ने ही अपने गवर्नर मरवान से इमाम हसन के जनाजे पर तीर चलवाए,माविया का ही ये प्लान था की इमाम हुसैन अपने भाई के जनाजे पर तीर चलता देख बर्दाश्त नहीं करेंगे और तलवार उठा कर सामने आ जायेंगे और फिर मुआवीया  हुकूमत के खिलाफ बगावत के इल्जाम में उन्हें कत्ल कर के यजीद के रास्ते का रोड़ा हटा देगा।

इमाम हुसैन ने सब्र कर के मुआवीया का प्लान चकनाचूर कर दिया जब कोई रास्ता न बचा तो माविया ने सुलह नामे की आखरी शर्त तोड़ कर अपने बेटे को तख्ते खिलाफत पर बैठा दिया और माविया की दहशत गर्दी से डरे हुए मुसलमांनों और मंसब व दौलत के लालची मुसलमानों ने माविया के हरामी बेटे की बैयत करके उसके आगे सरंडर कर दिया और माविया के जहन्नम जाते ही यजीद ने तख्ते खिलाफत पर बैठ कर अली के बेटे और रसूल अल्लाह के नवासे इमाम हुसैन और उनके बच्चो, भाई,भतीजों,भांजों और साथियों को कर्बला के मैदान में घेर कर शहीद कर दिया,फिर मदीना ताराज किया और फिर काबे में आग लगवा कर जहन्नम की आग में जलने पहुंच गया। 1400 साल से इस हकीकत को छिपाने वाले सारे ही यजीदी ये सुन लें ये इंटरनेट का दौर है और अब कुछ भी छिप नहीं सकता और अब हिंदा के खानदान के जुर्म पर पर्दा डालने वालों के नंगा होने का वक्त आ चुका है।
 

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