हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "नहजुल बलाग़ा" पुस्तक से लिया गया हैं।इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام العلی علیهِ السلام
اِذَا حُیِّیْتَ بِتَحِیَّةٍ فَحَیِّ بِاَحْسَنَ مِنْهَا، وَ اِذَاۤ اُسْدِیَتْ اِلَیْكَ یَدٌ فَكَافِئْهَا بِمَا یُرْبِیْ عَلَیْهَا، وَ الْفَضْلُ مَعَ ذٰلِكَ لِلْبَادِىْ.
हज़रत इमाम अली अ.स. ने फरमाया:
जब तुम पर सलाम किया जाए तो इससे अच्छे तरीके से जवाब दो और जब तुम पर कोई एहसान करें,तो उससे बढ़-चढ़कर बदला दो वैसे भी इस सूरत में फज़ीलत पहल करने वाले ही के लिए होगी,
नहजुल बलाग़ा,हिकमत नं.62