हौज़ा न्यूज़ एजेंसी।
लेखकः शौकत भारती
रसूल अल्लाह ने हर एक मर्द और औरत को इल्म हासिल करने का हुक्म दिया था।
इसकी बुनियादी वजह यही थी की इल्म ही इंसान को इंसान बनाता है,जियो और जीने दो की शिक्षा देता है,हर तरह की बुराईयों से बचाता है, इल्म ही इंसान को अच्छे लोगों की विचार धारा से जोड़ता है और इंसान को दहशत गर्दी के करीब भी नही जाने देता। इल्म गलत लोगों को गलत और सही को सही कहने की हिम्मत पैदा करता है एक अच्छा और ईमानदार इंसान पढ़ लिख कर अच्छे लोगों को ही अपना रोल माडल बनाता है ताकि बुरे लोगों के रास्ते से अपने आप को बचा सके और सही और गलत का फैसला कर सके। अगर पढ़ने लिखने के बाद भी कोई इंसान बुरे को बुरा और अच्छे को अच्छा न कहे और बुरों को अच्छा बना कर पेश करे या बुरे लोगों को डिफेंस करे तो ऐसा शख्स चाहे जितना बड़ा मौलवी मुल्ला क्यों न हो वो सबसे बड़ा कमीना होता है और ऐसे ही पढ़े लिखे जाहिल भी दहशतगर्द बन रहेहैं।अफगानिस्तान में शिया बच्चियां रसूल अल्लाह के दिए गए हुक्म इल्म हासिल करो के हुक्म पर अमल कर के इल्म हासिल कर रहीं थीं।
जिन्हें इस्लाम दुश्मन सुफियानी विचार धारा वाले दहशतगर्दों ने ब्लास्ट कर के खून में नहला दिया और 70 बच्चियो की जिंदगी छीन कर उनके परिवार वालों असहनीय पीड़ा में हमेशा के लिए पहुंचा दिया जो इसे जिहाद कहे वो कुत्ता है।।
याद रखिए आतंकवादी घटना की निंदा करने के साथ साथ इस्लाम के नाम पर तैयार की गई इस आतंकवादी विचार धारा को जानना भी अति आवश्यक है।
याद रखिए इस्लामी खिलाफत और जिहाद के नाम पर दहशतगर्दी करने वाले सभी आतंकवादी अबूसुफियान,हिंदा, मावीया और यजीद की विचार धारा को मानने वाले हैं।इस विचार धारा को इस्लामी हिस्ट्री में आप पढ़ेंगे तो कांप उठेंगे की ये लोग जानवरों से बदतर थे। अबूसुफियान,हिंदा, मावीया और यजीद की विचार धारा के लोग ही एक लंबे समय से पाकिस्तान, इराक,अफगानिस्तान,सीरिया, लेबनान,ईरान वगैरह में शियो को चुन चुन कर मार रहे हैं, पाकिस्तान की सिपाहे सहाबा हो,TTP,अफगानिस्तान का तालिबान,इराक सीरिया का आईएसआईएस,सबके सब अबूसुफयान,हिंदा,मविया और यजीद को सहाबा और ताबई मान कर इनकी बहुत इज्जत करते हैं और इनके बारे में एक शब्द भी गलत बर्दाश्त नहीं करते। शिया इन आतंकवादियों के उन सभी काले कारनामें को जो इन्हों ने मोहम्मद साहब और उनके परिवार के साथ अंजाम दिए लगातार बे नकाब करते हैं, शिया इन्हें खुल कर बुरा कहते हैं जिसकी वजह से इनके चाहने वाले शियो के बदतरीन दुश्मन हैं वो मना करते हैं की वोह सहाबा हैं उनके बारे में एक शब्द भी बोलना ठीक नहीं है। क्यों की मोहर्रम के 2 महीने 10 दिनों तक हर साल हर जुलूस, हर इमामबाड़े में अबुसूफियान, हिंदा मुआविया और यजीद की आतंकवादी विचार धारा को एक्सपोज किया जाता है।उनके किए गए पाप और अत्याचार बताए जाते हैं इस लिए हिन्दा,अबु सुफियान और मविया के चाहने और मानने वाले मोहर्रम के दिनों में और ज्यादा शियो पर हमले करते हैं।
याद रखिए अबुसूफियान और कलेजा चबाने वाली हिन्दा का खानदान अरब का सबसे क्रूर और आतंकी खानदान था जो मरे हुए इंसानों का कलेजा भी चबा डालता था इस कबीले के अंदर हर तरह की बुराई और मक्कारी कूट कूट कर भरी हुई थी।कबीले का सरदार अबुसूफियान और इसकी बीबी हिंदा ने इस्लाम को मिटाने के लिए सारी जिंदगी रसूल अल्लाह से जंग की और जब लड़ते लड़ते बुरी तरह कमजोर हो गए और जान बचाने का कोई रास्ता नहीं रहा तो ये कलेजा चबाने वाला आतंकी खानदान कलमा पढ़ कर इस्लाम में दाखिल हो गया।
रसूल अल्लाह ने इनकी जान तो बख्श दो मगर इन लोगों को कभी पूरी तरह मुसलमान नहीं माना रसूल अल्लाह इन्हे *तुलका और मोअल्लीफातुल कुलूब कहते थे" अर्थात ये सब कत्ल कर देने के लाएक हैं मगर आजाद कर दिए गए हैं और इनके दिलों ने इस्लाम की अच्छाइयां नहीं कुबूल की और न इनके दिलों से इस्लाम की नफरत ही खत्म हुई थी ये बात रसूल अल्लाह अछी तरह से समझा गए थे जिसे रसूल अल्लाह के बाद वालों ने नजर अंदाज कर दिया। अबूसुफियान और हिंदा का कबीला सबसे ज्यादा हजरत अली और हजरत हमजा का दुश्मन था क्यों की जब ये लोग पूरी तैयारी से मोहम्मद साहब को कत्ल करने आए और इनकी फौज ने हमला कर दिया तो हिंदा के बाप, हिंदा के भाइयों और बेटे को हजरत हमजा ने और हजरत अली ने ही जंग में कत्ल किया। इस लिए ये लोग इन दोनों के जानी दुश्मन बने हुए थे। हजरत हमजा को तो धोखे से जंग ओहद में कत्ल कर के उनका कलेजा हिन्दा ने चबा लिया मगर हजरत अली के खिलाफ जो भी लड़ने आया वो अली के हाथों से मारा गया इस लिए हिंदा का खानदान अली और अली के खानदान का सबसे बड़ा दुश्मन था।
रसूल अल्लाह के जमाने में हजरत अली की तलवार से कमजोर होने वाला ये शरीर और मक्कार खानदान अपनी खतरनाक चाल से पहली खिलाफत में ही खूब मजबूत हो गया,दूसरी खिलाफत में ये कबीला और मजबूत हो गया तीसरी खिलाफत में तो ये सबसे ज्यादा मजबूत हो गया क्यों की तीसरा खलीफा अबूसुफियान के भतीजे को बना दिए गया था इस लिए अबूसुफियान ने तीसरे खलीफा से कहा की अब खिलाफत को अपने ही खानदान में हमेशा के लिए रखना कहीं और जाने न देना।
क्यों की तीसरे खलीफा के जमाने में बहुत ज्यादा करप्शन हुआ और बहुत से लोग उनके गलत कामों से नाराज थे और वो अपने दामाद Marwan को जो बहुत ही गंदा आदमी था उसे बचाने की वजह से कत्ल कर दिए गए और उनके बाद हजरत अली चौथे खलीफा बन गए।
उन्हों ने सारे पुराने करप्ट गवर्नर डिसमिस कर दिए मुआविया भी सीरिया का गवर्नर था उसे भी डिस्मिस कर दिया अबुसूफियान और हिंदा का बेटा मविया और उसके साथी चौथी खिलाफत के वक्त तक इतने पावर फुल हो चुके थे की उसने हजरत अली के खिलाफ बगावत कर दी और सारी जिंदगी चौथे खलीफा से लड़ता रहा। इतना ही नहीं मुआविया ने हजरत अली के हुकूमत में बहुत से आतंकवादी हमले करवा के हजरत अली के बहुत साथियों को तरह तरह से कत्ल करवाया,किसी का सर कटवाया,किसी के हाथ पैर कटवा कर मारा,किसी को धोखे से जहर दिलवा कर मारा, तो किसी को गधे की खाल में जिंदा सिलवा कर जलवा दिया।
आखिर कार उसने एक गहरी साजिश कर के एक खारजी के द्वारा हजरत अली पर मस्जिद के अंदर सुबह की नमाज में आतंकी हमला करवा दिया जिससे हजरत अली बुरी तरह से जख्मी हो गए और तीसरे दिन हजरत अली इस दुनिया से रुखसत हो गए।
माविया ने तीनों खिलाफत में इकठ्ठा की गई अकूत अवैध संपत्ति के बल पर बड़े बड़े मुफ्तियों को अपना बना लिया था जिनके जरिए वो मस्जिदों से हजरत अली को गलियां देने और दिलवाने और हजरत अली के खिलाफ झूठे प्रोपेगंडे करवाने का काम करता रहता था।इस दहशत गर्द मुआविया और इसके टोले की वजह से ही हजरत अली को खामोशी से दफ्न कर के उनकी कब्र का निशान भी मिटा दिया गया की कहीं मविया और उसके चाहने वाले अली की लाश का अपमान न कर डालें। जैसा की मविया के बाद मुआविया के बेटे यजीद ने कर्बला के शहीदों की लाशों का अपमान करवाया और लाशों पर घोड़े दौड़वाए थे।
हजरत अली के बाद उनके बेटे इमाम हसन खलीफा बन गए। उनकी हुकूमत में मविया की आतंकी घटनाएं बहुत बढ़ गईं, इमाम हसन की हुकूमत को माविया ने पैसे और आतंकवादी घटनाओं के हमले से बहुत कमजोर कर दिया और ज्यादा तर लोग मुआविया के डर से इमाम हसन के साथ खड़े नही हो सके बहुत से लोगों को माविया ने खरीद भी लिया और बहुत ज्यादा खून खराबा होने लगा जिसे रोकने के लिए इमाम हसन ने 6 महीने के बाद मुआविया की सुलह की पेश कश कुबूल कर लिया और कुछ शर्तों पर खिलाफत माविया को दे दी।
उन शर्तों में ये लिख दिया गया था की माविया अपनी तमाम बुरी बातें छोड़ कर सिर्फ इस्लामी उसूलों पर ही खिलाफत चलाए गा,अपनी आतंकवादी घटनाएं मविया बंद कर देगा, हजरत अली के चाहने वालों पर किसी प्रकार का अत्याचार नही करेगा,हजरत अली को मस्जिदों से गालियां देना बंद कर देगा और अपने बाद अपने बेटे को या किसी और को खलीफा नियुक्त नही करेगा। माविया ने सुलह के बाद किसी एक शर्त पर भी अमल नहीं किया और उसने इमाम हसन को एक गहरी साजिश कर के जहर दिलवा कर शहीद करवा दिया इतना ही नहीं इमाम हसन के जनाजे पर मुआविया के गवर्नर मरवान ने तीर भी चलाए और चलवाए लेकिन मविया ने उसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया मतलब साफ है इस काम से मविया खुश था मविया ने सुलह की किसी भी शर्त पर अमल नहीं किया और आखरी शर्त को भी तोड़ कर अपने बेटे यजीद को खलीफा बना दिया।यजीद ने ही मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों को जिसमें 6 महीने का बच्चा भी शामिल था भूखा प्यासा करबला के मैदान में घेर कर शहीद करवा दिया शहीदों की लाशों पर घोड़े दौड़ाए और सबके सरों को भाले की नोक पर लगवा कर और औरतों बच्चों को गिरफ्तार कर के और रस्सियों से बंधवा कर शहर शहर घुमवाया गया ताकि उसके खिलाफ आवाज़ उठाने की कोई हिम्मत न कर सके उसने अपने इस एक्शन से ये मेसेज दिया की जब वो मोहम्मद साहब के परिवार के साथ ये सब कुछ कर सकता हू तो बाकी की क्या हैसियत है।
उसके बाद यजीद ने मदीने पर हमला करवा कर मस्जिद नबवी को बर्बाद करवाया तीन दिन तक यजीद की फ़ौज लूट मार कत्ल गारत गरी करती रही हजारों औरतों के साथ रेप हुआ और उसके नतीजे में 1000 नजाएज बच्चे पैदा हुए, इसके बाद यजीद ने मक्के पर हमला करवाया और वहां भी खूब कत्ल और गारत गरी हुई यजीदी फौज ने काबे पर हमला कर के काबे में ही आग लगा दी।इस तरह हिंदा और अबुसूफियान के खानदान ने इस्लाम में दाखिल हो कर इस्लाम को बर्बाद कर दिया।इन तमाम बातों को शिया मोहर्रम में इमामबाड़ों में मजलिस कर के सड़कों पर जुलूस निकाल कर बताते है जिससे वो सभी आतंकवादी जिन्होन मोहम्मद साहब और उनके परिवार पर जुल्म ढाया वो बेनकाब हो जाते हैं इस लिए उन आतंकवादियों की इज्जत करने और सहाबा कहने वाले सभी आतंकवादी गिरोह जो मावीया जैसी ही खिलाफत कायम करने की चेष्टा कर रहे हैं शियो के दुश्मन बन गएं हैं उन अटक्कवादियों के सामने कोई भी मुसलमान अबू सूफियान,हिंदा, मावीया या यजीद, को बुरा नहीं कह सकता दुनिया भर सभी दहशत गर्द अबूसुफियान,मविया और कलेजा चबाने वाली हिंदा के मानने वाले हैं जो जिहाद के नाम पर सारी दुनिया में खून खराबा और दहशतगर्दी कर के माविया और यजीद जैसी खिलाफत कायम करना चाहते हैं।
हथियारों के सौदागर अमरीका,इस्राइल,ब्रिटेन और दूसरे मुल्क अपने,अपने इंट्रेस्ट में इन्हे हथियार और ट्रेनिंग देते हैं और सारी दुनिया में इनका इस्तेमाल करते रहते हैं, अंग्रेजों के गुलाम अय्याश अरब मुल्क अपनी कुर्सी बचाने के लिए अमरीका के इशारे पर बिके हुए मुल्लाओं को पेट्रो डालर देते हैं और पेट्रो डालर के जोर पर इस विचार धारा को सारी दुनिया में फैलाया जा रहा है।
पाकिस्तान का सबसे बड़ा दहशत गर्द ग्रुप सिपाहे सहाबा अबु सूफियान,हिंदा,मविया के बारे में एक शब्द भी नहीं सुन सकता अब तो पाकिस्तान की सड़कों पर वो खुल कर यजीद जिंदाबाद का नारा भी लगाना शुरू कर चुका है। वहाबियत के एक्सपोज होने के बाद अब अरब मुल्क अफ़गानिस्तान,पकिस्तान और हिंदुस्तान में अपनी फंडिंग कर के इस सुफियानी और मावियाई फिक्र को बड़ी तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं।पेट्रो डालर के जोर पर इस फिक्र को बढ़ाने लिए मौलवियों का टोला लगातार खरीदा जा रहा है,पाकिस्तानी इलियास अत्तारी इस विचार धारा को फैलाने का सबसे बड़ा एजेंट है इसने कई साल पहले पाकिस्तान में मविया का उर्स शुरू किया और उसने पाकिस्तान और हिंदुस्तान में मविया के नाम से 121 मस्जिद बनवाने का एलान किया पाकिस्तान में तो माविया के नाम की मस्जिदें बनने लगीं हिंदुस्तान में भी 121 मस्जिदें माविया के नाम से बनवाने का प्लान हैं इलियास अत्तारी के एजेंट इस काम में लगे हुए है इस काम को आगे बढ़ाने के लिए ही "बे खाता बे गुनाह मुआविया मुआविया" का नारा भी ईजाद किया गया है और बहुत से नात पढ़ने वाले भी तैयार हो चुके हैं। इलियास अत्तारी का नेट वर्क हिंदुस्तान में भी तेजी से फैल रहा है,और उन्हीं एजेंटों की ही वजह से हिंदुस्तान में माविया की शान में जलसे होने लगे हैं। इलियास अत्तारी के मदनी चैनल का खर्च 3 साल पहले 6 अरब रुपया सालाना था इससे ही अब आप लोग इस नेट वर्क के बारे में फैसला कर लीजिए। मेरी बातों को कोई भी इंसान थोड़ी सी मेहनत कर के खुद गुगल पर चेक कर सकता है। याद रखिए अबु सुफयान और मुआविया की फिक्र इंसानियत मुल्क और इस्लाम तीनों लिए बहुत बड़ा खतरा है जिसके खिलाफ मिल जुल कर ही काम करना पड़ेगा और इसी विचार धारा के अतंकवादियों ने अफगानिस्तान में 70 शिया बच्चियों को बेदर्दी से मार डाला अल्लाह से दुआ है की इनके परिवार वालों को इस दुख को बर्दाश्त करने की शक्ति प्रदान करे।
नोटः लेखक के अपने विचार है हौज़ा न्यूज़ एजेंसी का लेखक के विचारो से सहमत होना ज़रूरी नही है।