۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
मौलाना

हौज़ा/मजालिस ए अरबईन चेहलूम ए हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व उनके 72 साथियों की याद में 19सफ़र से लेकर 22 सफ़र तक मजलिसों का सिलसिला जारी रहा जिस में देश के प्रसिद्ध विद्वानों ने हज़रत इमाम हुसैन और उनकी बे मिसाल कुरबानी और आपके घराने का ज़िक्र किया

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मुज़्फरनगर।तिस्सा सादात मेंमजालिस ए अरबाईन चेहलूम ए हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व उनके 72 साथियों की याद में 19सफ़र से लेकर 22 सफ़र तक मजलिसों का सिलसिला जारी रहा
जिस में देश के प्रसिद्ध विद्वानों ने हज़रत इमाम हुसैन और उनकी बे मिसाल  कुरबानी और आपके घराने का ज़िक्र किया
19 सफ़र को मौलाना सैय्यद शबीहुल हसन नकवी ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के अर्बाईंन, चैहलूम की फजीलत को बयान किया, और मजलिस के अंत में मौलाना ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद के संगीन हालात का तजकिरा किया।

20सफ़र को अमरोहा से आए शिया आलिम मौलाना सैयद सफदर रजा इमामी ने कहा के इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुर्बानी का मक़सद मआशरे से बुराई को ख़तम करना था।
यजीद चाहता था कि बुराईयां ज़माने में आम हो जाएं और हुसैन मेरी बेयत कर लें लेकिन इमाम ने यजीद की हर एक बात को ठुकराया और उस के सामने अपना सर ना झुकाया यानी उसकी बेयत को खुले शब्दों में इन्कार किया आपने कर्बला में अपने 72 जा निसार साथियों की राहे हक में  कुर्बानी देकर तमाम नबियो की बका को बचा लिया।

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