۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
मेंहदी

हौज़ा/महदवीयत का सबसे अलग नारा इंसाफ और न्याय का कायम करना,और जब हम दुआए नुदबा पढते हैं,कहाँ है वह जिससे ज़ुल्म व सितम को मिटाने की उम्मीदें जुड़ी हैं?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,महदवीयत का सबसे नुमायां नारा अद्ल व इंसाफ़ है मिसाल के तौर पर जब हम दुआए नुदबा में इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम की सिफ़ात बयान करना और गिनाना शुरू करते हैं तो उनके मोहतरम पूर्वजों और पाकीज़ा ख़ानदान से उनकी निस्बत का ज़िक्र करने के बाद, जो पहला जुमला बयान करते हैं वह यह हैः

ʺकहाँ है वह जिसे ज़ुल्म का सिलसिला काटने के लिए मुहैया किया गया है? कहाँ है वह जिसका  गुमराही को ठीक करने के लिए इंतेज़ार हो रहा है? कहाँ है वह जिससे ज़ुल्म व सितम को मिटाने की उम्मीदें जुड़ी हैं?

मतलब यह कि इंसानियत का दिल इस बात के लिए तड़प रहा है कि वो मुक्तिदाता आए और ज़ुल्म व सितम को जड़ से उखाड़ फेंके, ज़ुल्म की इमारत को-जो इंसानी तारीख़ के मुख़्तलिफ़ दौर में हमेशा मौजूद रही है और आज भी पूरी शिद्दत के साथ मौजूद हैंं

 ज़ालिमों को उनकी औक़ात दिखा दे। यह हज़रत महदी का इंतेज़ार करने वालों की उनसे पहली दरख़ास्त है। या आले यासीन ज़ियारत में जब आप उन हज़रत की ख़ुसूसियतों का ज़िक्र करते हैं तो उनमें एक नुमायां ख़ुसूसियत यह हैः (वह ज़मीन को अद्ल व इंसाफ़ से भर देंगे, जिस तरह वह ज़ुल्म व जौर से भरी होगी।) तवक़्क़ो यह है कि वह पूरी दुनिया को -किसी एक जगह को नहीं- इंसाफ से भर दें और हर जगह इंसाफ़ क़ायम कर दें। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के बारे में जो रिवायतें हैं, उनमें भी यही बात पायी जाती है। तो हज़रत इमामे ज़माना का इंतेज़ार करने वालों की तवक़्क़ों, पहले मरहले में, अद्ल व इंसाफ़ का क़याम है।

इमाम ख़ामेनेई,

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