हौजा न्यूज एजेंसी
तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफसीर सूरा बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
والَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِمَا أُنزِلَ إِلَيْكَ وَمَا أُنزِلَ مِن قَبْلِكَ وَبِالآخِرَةِ هُمْ يُوقِنُونَ वल्लज़ीना यूमेनूना बिमा उंज़ेला इलैका वमा उंज़ेला मिन क़ब्लेका वा बिल आख़ेरते हुम यूक़ेनून (बकरा 4)
अनुवादः वे उस सब पर भी ईमान रखते हैं जो हमने आप पर उतारा है और जो कुछ आप से पहले अवतरित हुआ है और वे आख़िरत पर भी ईमान रखते हैं।
📕 क़ुरआन की तफ़सीर 📕
1️⃣ कुरान में विश्वास करना और इस्लाम के पैगंबर (स) को दी गई शिक्षाओं और फैसलों पर विश्वास करना मुत्तक़ी लोगों के गुणों में से एक है।
2️⃣ इस्लाम के पैगंबर (स) की शिक्षाओं के बारे में बताए गए सभी फैसलों और शिक्षाओं पर विश्वास करना अनिवार्य और आवश्यक है।
3️⃣ ईश्वरीय धर्म एक दूसरे के साथ विरोधाभासों और मतभेदों और असामंजस्य से मुक्त हैं।
4️⃣ ग़ैब पर ईमान, नबीयो की रिसालत पर ईमान और आख़ेरत पर ईमान कुरआनी मार्गदर्शन को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
5️⃣ अल्लाह के रसूल और पैग़म्बरों पर ईमान और आख़िरत में ईमान धार्मिक आस्थाओं के स्तंभ हैं।
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📚 तफसीरे राहनुमा, सूरा बकरा
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