۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / इस्लाम में पैगंबर (स) के उपदेश और मार्गदर्शन के तरीकों में से एक चेतावनी है। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने में कुछ लोग कुफ्र के इस मकाम पर पहुंच गए थे कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की चेतावनी का उन पर कोई असर नहीं हुआ।

हौजा न्यूज एजेंसी

तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफ़सीर सूरा ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُواْ سَوَاءٌ عَلَيْهِمْ أَأَنذَرْتَهُمْ أَمْ لَمْ تُنذِرْهُمْ لاَ يُؤْمِنُونَ   इन्नल लज़ीना कफ़ारू सवाउन आ अंज़रताहुम अम लम तुनज़ुरहुम ला यूमेनून (बकरा 6)
अनुवाद: ऐ रसूल जिन लोगों ने कुफ्र अपना लिया उनके लिए सब बराबर है। तुम उन्हें डराओ या न डराओ, वे ईमान वाले नहीं हैं।

📕 क़ुरआन की तफ़सीर 📕

1️⃣    पवित्र कुरान को नकारने वालों और काफिरों को पैगंबर (स) का डराना अप्रभावी था।
2️⃣    क़ुरआन के इनकार करने वाले अल्लाह और पुनरुत्थान पर ईमन नहीं लाऐंगे।
3️⃣    पवित्र क़ुरआन अल्लाह और पुनरुत्थान पर विश्वास करने के लिए सबसे अच्छा मार्गदर्शक है।
4️⃣    पवित्र पैगंबर के उपदेश और मार्गदर्शन के तरीकों में से एक ``चेतावनी'' है।
5️⃣    नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने में कुछ लोग कुफ्र के इस मुकाम पर थे कि नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की चेतावनी का उन पर कोई असर नहीं हुआ।

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📚 तफ़सीरे राहनुमा, सूरा ए बकरा
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