हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "वसलुश् शिया,,पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال امیرالمومنین علیه السلام
رَأْسُ السَّنَـةِ لَيْلَةُ الْقَـدْرِ يُكْتَبُ فيها ما يَكُونُ مِنَ السَّنَةِ اِلَى السَّنَةِـةِ لَيْلَةُ الْقَـدْرِ يُكْتَبُ فيها ما يَكُونُ مِنَ السَّنَةِ اِلَى السَّنَةِـدْرِ يُكْتَبُ فيها ما يَكُونُ مِنَ السَّنَةِ اِلَى السَّنَةِ
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
साल का आधार और बुनियाद शब-ए-क़द्र हैं और इसमें 1 साल से दूसरे साल तक जो कुछ होता है लिखा जाता हैं।
वसलुश् शिया,भाग 7,पेंज 258,हदीस नं 8