हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा ए इल्मिया नजफ अशरफ के प्रसिद्द शिया आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली हुसैनी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो लोग शरई अहकाम मे दिल चस्पी रखते है हम उनके लिए पुछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ बयान कर रहे हैं।
सवाल:अगर कोई काफिर औरत मुसलमान से शादी की खातिर सिर्फ ज़बान से दोनों शहादतैन अदा करें,जबकि सुनने वाले को इस बात का कोई संभावना न हो कि वह सचमुच ईमान ले आई हैं,तो क्या इसकी ज़ुबान से सुनने वाले के लिए इस पर असर मुरत्ताब करना जायज़ हैं?
उत्तर: ज़बान पर शहादतैन जारी करना काफी हैं, भले ही उसका दिल भाषा से सहमत न हो, उसके ऊपर ज़ाहिरन इस्लाम के हुक्म जारी होंगें