शुक्रवार 14 अप्रैल 2023 - 10:22
एतेकाफ़ के अहकाम:

हौज़ा/अगर कोई शख़्स एतेकाफ़ के दौरान कोई मामला करे अगरचे एतेकाफ़ बातिल हो जाता है लेकिन मामला बातिल नहीं होता,

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा ए इल्मिया नजफ अशरफ के प्रसिद्द शिया धर्मगुरु आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से पूछे गए एतेकाफ़ के बारे में सवाल का जवाब दिया हैं जो लोग शरई अहकाम मे दिल चस्पी रखते है हम उनके लिए पुछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ बयान कर रहे हैं।
अगर कोई शख़्स एतेकाफ़ के दौरान कोई मामला करे अगरचे एतेकाफ़ बातिल हो जाता है लेकिन मामला बातिल नहीं होता,
अगर कोई शख़्स माहे रमज़ानुल मुबारक में एतेकाफ़ करे और फिर उसे जेमा (सेक्स)  के ज़रिए दिन में फ़ासिद ( ख़राब ) करदे तो उस पर दो कफ़्फ़ारे (यानी एक माहे रमज़ानुल मुबारक के रोज़े का दूसरा एतेकाफ़ का ) वाजिब हैं इसी तरह अगर कोई शख़्स माहे रमज़ान की  क़ज़ा के दौरान एतेकाफ़ करे और ज़वाल के बाद उसे फ़ासिद ( खराब)  करदे तो अगर वो एतेकाफ़ नज़र की वजह से वाजिब हो  तो नज़र की मुख़ालिफ़त की बिना पर उस पर तीन कफ़्फ़ारे वाजिब हो जाते हैं।

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