हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, क़ुरान करीम की शिक्षा को ध्यान मे रखते हुए रमज़ान 1444 को मस्जिद इमाम हसन मुज़्तबा अ०स० (छोटी मस्जिद) लंगरखाना हुसैनाबाद में क़ुरानी कक्षाओ का आयोजन किया गया।
इन कक्षाओ में उन लोगों को दावत दी गई जो कुरान करीम पढ़ नहीं सकते थे या सही नहीं पढ़ सकते थे। कक्षाओ में कुरान सीखने के शौक़ीन युवाओं ने भाग लिया। कक्षाओ के समापन पर इसी मस्जिद में पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया।
समारोह में क्लासेज़ में भाग लेने वाले कुछ बच्चों ने क़ुरआन की तिलावत की।
मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने रसूलुल्लाह स०अ० की हदीस "तुम में सबसे अच्छा वह है जो कुरान सीखता है और दूसरों को सिखाता है" को सरनामे कलाम क़रार देते हुए बयान किया अपनी वफात से पहले रसूलुल्लाह स०अ० ने उम्मत को दो चीजों से तमस्सुक का हुक्म दिया, उनमें से एक कुरान करीम है और दूसरे अहलेबैत अ०स०। फरमाने पैगंबर स०अ० पर अमल करते हुए ये क्लासेज़ शुरू की गईं। इस मुख़्तसर मुद्दत में शिरकत करने वालों को अरबी हुरूफे तहज्जी से सिखाया गया कि आज उन्होंने आप के सामने क़ुरआन की तेलावत की।
मौलाना डॉ. सैयद कल्बे सिब्तैन नूरी साहब ने इस क़ुरआनी ख़िदमत को सराहते हुए तालीमे कुरान की अहमियत बयान की। उन्होंने आगे कहा कि उनके वालिदे मर्हूम मौलाना डॉ. सैयद कल्बे सादिक ताबा सारा क़ुम और नजफ से पढ़ कर आने वाले उलमा की दीनी तालीमी ख़िदमात पर ख़ुश होते और सराहते थे!
सैयद अतहर सगीर तूरज जैदी, अध्यक्ष फखरुद्दीन अली अहमद कमेटी ने इस क़ुरआनी ख़िदमात को सराहते हुए कहा कि यह एक अच्छी पहेल है, यह सिलसिला जारी रहे ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग क़ुरआन पढ़ना सीखें!
समारोह में मौलाना सैयद अरशद हुसैन मूसवी, जनाब सैयद मुहम्मद मेहदी असलम जैदी, जनाब अतहर काजमी, जनाब रिजवान मुस्तफा और दीगर मोमनीन ने भाग लिया!
आखिर में कुरान क्लासेज़ में भाग लेने वाले सफल बच्चों और जवानों को कुरान करीम बतौरे तोहफा पेश दिया गया!
ज्ञात रहे कि ये कुरानी कक्षाए जनाब तफज्जुल हुसैन और उनके साथीयो द्वारा आयोजित की गई!