हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, यह हदीस "नहज अल-बलाग़ा" पुस्तक से ली गई है। इसका पाठ इस प्रकार है:
قال أمیرالمؤمنین علی علیه السلام:
أَیُّهَا النَّاسُ، إِنَّ أَخْوَفَ ما أَخافُ عَلَیْکُمُ اثْنَتانِ: اتِّباعُ الْهَوَی، وَ طُولُ الْأَمَلِ فَأَمَّا اتِّباعُ الْهَوَی فَیَصُدُّ عَنِ الْحَقِّ، وَ أَمَّا طُولُ الْأَمَلِ فَیُنْسِی الاْخِرَةَ
हज़रत अली (अ) ने फ़रमाया:
हे लोगों, मुझे किसी भी चीज़ से ज़्यादा डर इस बात का है कि तुम दो चीज़ों से पीड़ित हो।
एक है स्वार्थी इच्छाओं की खोज और दूसरी है लंबी उम्मीदें, क्योंकि स्वार्थी इच्छाओं की खोज इंसान को सच्चाई का एहसास करने और उसका पालन करने से रोकती है, और लंबी उम्मीदें व्यक्ति को आख़िरत को भूला देती हैं।
नहज अल-बलाग़ा, ख़ुत्बा: 42