हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "एल्लुश शराऐ" पुस्तक से लिया गया है इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الرضا علیه السلام
... الجُمُعَةُ مَشْهَدٌ عامٌ فَاَرادَ اَنْ يَكونَ لِلاِْمامِ سَبَبٌ اِلى مَوعِظَتِهِمْ وَتَرغيبِهِم فِى الطّاعَةِ وَ تَرهيبِهِم مِنَ الْمَعْصيَةِ وَ فِعْلِهِمْ وَ تَوفيقِهِمْ عَلى ما اَرادوا مِنْمَصْلَحَةِ دينِهِمْ وَ دُنْياهُم وَ يُخْبِرَهُمْ بِما وَرَدَ عَلَيْهِمْ مِنَ الآْفاتِ و مِنَ الاَْحْوالِ الَّتى لَهُم فيهَا الْمَضَرَّةُ وَ المنفعة
हज़रत इमाम रज़ा अ.स.ने फरमाया:
जुमआ आम लोगों के इकट्ठे होने का दिन है ताकि इमाम (इमामे जुमआ)इन्हें वाज़ व नसीहत करें इन्हें (खुद की) अताअत करने पर तश्वीक करें, और गुनाह और इसके इरतेकाब से डराए, और उन्होंने अपने दीन और दुनिया के फायदे के लिए जिस चीज का इरादा किया है उसमें कामयाब करें, और इन्हें उन पर आने वाली मुसीबत और ऐसे हालात से बा खबर करें जिनमें इन्हें नुकसान हो सकता हैं।
एल्लुश शराऐ,भाग 1,पेंज 265