۲۹ شهریور ۱۴۰۳ |۱۵ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 19, 2024
ख़ूई साहब

हौज़ा / जाओ और सैयद अली अकबर खूई को बताओ कि तुमने हमारे बेटे इमाम हुसैन (अ) के लिए जो मन्नत और प्रतिज्ञा की थी और लगातार दो महीने तक काले कपड़े पहने थे, वह कबूल हो गई है, हम तुम्हारे बच्चे की रक्षा करेंगे और उसे बड़ा करेंगे और एक फ़क़ीह और आलिम बनाएंगे और उसे पूरी दुनिया में प्रसिद्धि और सम्मान देंगे, उसका नाम मेरे नाम पर यानी "अबू अल-कासिम" रखना।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मरहूम आयतुल्लाहिल उज़्मा खूई के एक प्रतिनिधि ने मुहर्रम के महीने और सफ़र के महीने के दौरान काले कपड़े पहनने के फ़लसफ़े के बारे में अपनी एक किताब में निम्नलिखित लिखा है:

मुहर्रम और सफ़र का महीना था, एक बार मैं आयतुल्लाह ख़ूई की सेवा में आया और देखा कि इस भीषण गर्मी में उन्होंने काले कपड़े पहने हुए थे, यहाँ तक कि उनके मोज़े भी काले थे।

मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको नहीं लगता कि काले कपड़े पहनने से यह संभव है कि आप बीमार पड़ जायेंगे या आपको भयंकर गर्मी लग जायेगी? उन्होंने जवाब दिया कि मैं जो भी हूं अपने सिर से पैर तक पहने हुए कपड़ों की वजह से हूं, मैंने पूछा कैसे? उन्होंने कहा कि बैठो मैं तुम्हें बताता हूं।

फिर उन्होंने कुछ इस तरह बयान किया: हमारे पिता सैयद अली अकबर खूई, ईरान के एक प्रसिद्ध खतीब और ज़ाकिर थे। हमारी माता जब भी गर्भवति होती थी तो वह दो तीन माह बाद उनका गर्भपात हो जाता था।

हमारे पिता मजलिस के बाद मिम्बर पर बैठे हुए दुआ कर रहे थे, उन्होंने लोगों से कहा, "हे लोगों, इमाम हुसैन (अ) और अहले-बैत (अ) के दामन को कभी मत छोड़ना, क्योंकि यह परिवार ही है।" तुम्हें माफ करने वाला है और सभी कठिनाइयों को दूर करने वाला है'' इस घर के अलावा किसी भी दरवाजे पर मत जाना जो क्योंकि यही वह घर है जो सभी समस्याओं का समाधान करता है...

जिस समय हमारे पिता मजलिस पढ़कर मिम्बर से नीचे उतर रहे थे, एक महिला हमारे पिता के पास आई और कहने लगी कि जनाब सैयद अली अकबर साहब आप कहते हैं कि हमें अपनी सारी जरूरतें अहले-बैत से मांगनी चाहिए। तो आप खुद इमाम हुसैन (अ) से अपने लिए एक बच्चा क्यों नहीं मांगते? मेरे पिता को बहुत गुस्सा आया लेकिन उन्होंने अपने गुस्से पर काबू पाया और जब वह घर पहुंचे तो मेरी मां ने पूछा कि क्या हुआ, क्यों इतना क्रोधित है? तब मेरे पिता ने  मजलिस  की पूरी घटना बताई कि कैसे उस महिला ने आकर मेरा मजाक उड़ाया था।

मेरी माँ ने कहा कि उस औरत ने ठीक ही कहा है, तुम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से मन्नत क्यों नहीं मांगते? मेरे पिता ने कहा कि हमारे पास ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे देकर हम मन्नत मांगे और नज़्र करे तब मेरी मां ने कहा ज़रूरी नही है कि हमारे पास कुछ हो तभी कोई मन्नत मांगे और नज़्र करें बल्कि आप यह नज़्र करे कि इस साल इमाम हुसैन (अ) के ग़म मे मुहर्रम और सफ़र के दो महीनों के दौरान सिर से पैर तक केवल काले कपड़े पहनेंगे।

उसी वर्ष, हमारे पिता ने नज़्र कि वह मुहर्रम और सफ़र के दौरान दो महीने तक लगातार काले कपड़े पहनेंगे, उसी वर्ष, हमारी माँ गर्भवती हो गईं और सात महीने तक गर्भवती रहीं और बच्चे का गर्भपात नहीं हुआ । इसी बीच हमारे घर हमारे पिता का एक शिष्य आया।

मेरे पिता ने दरवाज़ा खोला और हाल चात पूछा की, उसके बाद उन्होंने कहा कि मेरा एक प्रश्न है, मेरे पिता ने सोचा कि यह एक शैक्षणिक या न्यायिक प्रश्न हो सकता है, मेरे पिता ने कहा पूछो, छात्र ने बिना किसी कठिनाई के पूछा क्या आपकी पत्नी गर्भवती है?! मेरे पिता आश्चर्यचकित हो गए और कहते हैं कि तुम्हें कैसे पता चला? इस बार मैंने किसी को नहीं बताया, उसने फिर पूछा, क्या वह सात महीने की गर्भवती है? मेरे पिता तो और भी हैरान हो गए और बोले हां तुम सही कह रहे हो.

अचानक वह छात्र रोने लगता है और कहता है: जनाब सैयद अली अकबर खूई साहब, मैं अभी सो रहा था, मैंने अल्लाह के रसूल को देखा, हुज़ूर अकरम (अ) ने फ़रमाया जाओ और सैयद अली अकबर खूई को बताओ कि तुमने हमारे बेटे इमाम हुसैन (अ) के लिए जो मन्नत और प्रतिज्ञा की थी और लगातार दो महीने तक काले कपड़े पहने थे, वह कबूल हो गई है, हम तुम्हारे बच्चे की रक्षा करेंगे और उसे बड़ा करेंगे और एक फ़क़ीह और आलिम बनाएंगे और उसे पूरी दुनिया में प्रसिद्धि और सम्मान देंगे, उसका नाम मेरे नाम पर यानी "अबू अल-कासिम" रखना।

सोत्र: पुस्तक: मारफ़त सैय्यद अल-शोहादा, पेज 34-36।

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